क्यों कम आए छत्तीसगढ़ के नंबर…धान का कटोरा होने के बावजूद सबको भोजन देने के अभियान में पीछे क्यों?

क्यों कम आए छत्तीसगढ़ के नंबर...धान का कटोरा होने के बावजूद सबको भोजन देने के अभियान में पीछे क्यों?

क्यों कम आए छत्तीसगढ़ के नंबर…धान का कटोरा होने के बावजूद सबको भोजन देने के अभियान में पीछे क्यों?
Modified Date: November 29, 2022 / 07:52 pm IST
Published Date: June 4, 2021 5:58 pm IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ को अस्तित्व में आए करीब 21 साल हो गए। इस दौरान सरकारें आई और गई, विकास के बड़े-बड़े दावे भी हुए। कई मोर्चे पर राज्य ने अपना लोहा भी मनवाया, लेकिन बात जब तुलना की होती है, तो छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों के मुकाबले पीछे ही नजर आता है। ये हम नहीं बल्कि केंद्र की थिंक टैंक यानी नीति आयोग की रिपोर्ट कह रही है। लैंगिक समानता में देश में अव्वल छत्तीसगढ़ गरीबी उन्मूलन, गुणवत्ता शिक्षा और बुनियादी विकास के मोर्चे पर कई राज्यों से पीछे है। ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सरकार की बनाई योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो रहा है? आखिर छत्तीसगढ़ को इतने कम नंबर मिलने की वजह क्या है?

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कोरोना संकट काल में छत्तीसगढ़ के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। देश में लैंगिंग समानता में छत्तीसगढ़ पहले स्थान पर है।  इसका सीधा सा अर्थ है कि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में सरकार बेहतर काम कर रही है। सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक के क्षेत्र में महिलाओं की बराबर की सहभागिता है। गुरुवार को केंद्र सरकार की थिंक टैंक नीति आयोग ने 2020-21 की रिपोर्ट जारी की, इसमें 16 लक्ष्यों में से एक लैंगिंग समानता में बाकी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए छत्तीसगढ़ ने बाजी मारी है। वहीं, एसडीजी इंडिया इंडेक्स के सूचकांक में ओवर ऑल रैंकिग में छत्तीसगढ़ ने पिछली बार के मुकाबले अपने अंकों में भी सुधार किया है। नीति आयोग ने ये रिपोर्ट सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण को लेकर किए गए कामों के 17 मानकों पर आंका है। देश में लिंगानुपात के मामले में छत्तीसगढ़ भले शीर्ष पायदान पर हो, लेकिन गरीबी उन्मूलन, गुणवत्ता शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा सहित कई अन्य मोर्चे पर दूसरे छोटे राज्यों से काफी पीछे नजर आता है।

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ऐसे ये सवाल उठ रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में गरीबी उन्मूलन की योजनाएं क्यों नहीं रही कारगर? धान का कटोरा होने के बावजूद सबको भोजन देने के अभियान में पीछे क्यों? स्वास्थ्य सेवा के मामले में हालात क्यों नहीं बदले? गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में क्यों फिसड्डी हैं सरकारी स्कूल? सवाल ये भी कि लैंगिंग समानता में अव्वल होने के क्या हैं मायने? जाहिर है नीति आयोग की 2020-21 की रिपोर्ट सामने के बाद राज्य सरकार के सामने ऐसे कई सवाल हैं, जिसका जवाब जल्द ही तलाश करना होगा। हालांकि सत्तारूढ़ कांग्रेस इस रिपोर्ट को लेकर संशय जाहिर कर रही है, जबकि विपक्ष उसकी नीतियों को इसके लिए दोषी ठहरा रहा है।

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प्रकृति की प्रचुर संपदा से भरपूर छत्तीसगढ़ की धरती भरपूर अन्न भी उगाती है। बावजूद इसके यहां के लोग रोटी, रोजगार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और उत्तम स्वास्थ्य सेवा के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं। खुद नीति आयोग का भी यही कहना है। हालांकि सरकार नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर सवाल उठा रही है। दूसरी ओर बीजेपी उसकी विफलता गिना रही है, लेकिन सवाल है कि क्या बुनियादी विकास के लिए बनी योजनाओं का क्रियान्वयन ठीक से नहीं हो रहा है? सिर्फ नीति के क्रियान्वयन में खामिया हैं या नीति निर्माण में भी? 

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"दीपक दिल्लीवार, एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 10 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने राजनीति, खेल, ऑटो, मनोरंजन टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें राजनीति, खेल, मनोरंजगन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी काफी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदार रिपोर्ट पेश की है। दीपक दिल्लीवार, पिछले 5 साल से IBC24 न्यूज पोर्टल पर लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें अपनी डेडिकेशन और अलर्टनेस के लिए जाना जाता है। इसी की वजह से वो पाठकों के लिए विश्वसनीय जानकारी के सोर्स बने हुए हैं। वो, निष्पक्ष, एनालिसिस बेस्ड और मजेदार समीक्षा देते हैं, जिससे इनकी फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। काम के इतर बात करें, तो दीपक दिल्लीवार को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है। वो हेल्दी वर्क लाइफ बैलेंस करने में यकीन रखते हैं।"