जबलपुर। जिला प्रशासन के लिए शत्रु संपत्तियां गले की फांस बन गई हैं। जबलपुर जिले में ऐसी 2 संपत्तियां हैं जिनकी न तो खरीदी हो सकती है और ना ही बिक्री, लिहाजा इनकी देखरेख करने में प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। केंद्र सरकार से बार-बार आने वाले निर्देशों के तहत जिला प्रशासन को इसका ब्यौरा जुटा कर सरकार को भेजना पड़ रहा है।
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हाल ही में आए एक नए पत्र के बाद प्रशासन ने नए सिरे से शत्रु संपत्तियों की जानकारी जुटाने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए बकायदा एक कमेटी का भी गठन किया गया है। अधिकारियों की टीम इस बात की पड़ताल करेगी कि जिले में स्थित दोनों ही शत्रु संपत्तियों के वारिस कौन हैं। मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन के तहत इनकी कितनी कीमत है।
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दरअसल देश की आजादी वाले साल यानी 1947 में जो भी परिवार देश छोड़कर सीमा पार गए हैं। उनकी संपत्तियां भारत में ही मौजूद हैं । आजादी के बाद इन संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था और इसका ब्यौरा केंद्र सरकार अपने पास रखती आ रही है। जबलपुर जिले के पौड़ी और मझगवां में दो शत्रु संपत्तियां हैं, जिनके बारे में केंद्र सरकार हमेशा ही ज़िला प्रशासन के माध्यम से जानकारी जुटाती रहती है।
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