साल दर साल फीकी पड़ रही भोरमदेव महोत्सव की चमक, जिला प्रशासन कर रहा मनमानी

साल दर साल फीकी पड़ रही भोरमदेव महोत्सव की चमक, जिला प्रशासन कर रहा मनमानी

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  • Publish Date - April 4, 2019 / 11:45 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:38 PM IST

कवर्धा। भोरमदेव महोत्सव का शुभारंभ बुधवार को दुर्ग संभाग के कमिश्नर दिलीप वासनिकर ने किया। लेकिन जो सम्मान व जैसा आयोजन विगत 20 साल पहले हुआ करता रहा है ऐसा आयोजन चार-पांच साल से नहीं हो रहा है। इस साल तो स्कूली व कत्थक कार्यक्रमों की ही अधिकता रही, वहीं प्रचार-प्रसार के अभाव में भीड ही नहीं थी। जबकि विगत वर्षों में 50 हजार से अधिक की संख्या में कवर्धा जिला सहित आसपास के जिलों से लोग महोत्सव देखने आते थे। पूर्व में यह तीन दिवसीय महोत्सव हुआ करता था उसे भी दो दिवसीय कर दिया गया है। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि जिला प्रशासन आने वाले वर्षों में भोरमदेव महोत्सव को कही बंद न कर दे। भोरमदेव महोत्सव का समापन गुरुवार शाम होगा।

छत्तीसगढ के खजुराहो के नाम से विख्यात भोरमदेव की जो छवि पहले बनी थी, वह अब धूमिल होती जा रही है। भोरमदेव की ख्याति को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए ही महोत्सव शुरू किया गया था। 1995 से शुरू इस महोत्सव को जहां बढ़ते क्रम में होना था वह इस 25वें वर्ष में मात्र दो दिवसीय हो कर रह गया हैं। पूर्व के वर्षों में महोत्सव में देश-विदेश के जाने माने कलाकार अपनी प्रस्तुति देते थे उनकी जगह अब स्कूली छात्र ही अपनी प्रस्तुति दे रहे है।

इस वर्ष तो लोक संस्कृति व पारंपरिक कार्यक्रम के नाम पर केवल दो ही आयोजन थे। बाकी के कार्यक्रम में कत्थक व स्कूली कार्यक्रमों को ही शामिल किया गया था। ऐसे में भोरमदेव महोत्सव की जो छवि पहले थी वह अब कहीं भी नजर नहीं आ रही है। इस वर्ष जिला प्रशासन द्वारा आचार सहिता के नाम पर न तो समाजसेवी संस्थाओं से न तो महोत्सव के संबंध में कोई राय ली गई और न ही भोरमदेव प्रबंध कमेटी के सदस्यों से। ऐसे में जिलेवासी महोत्सव को धीरे-धीरे बंद करने का भी आरोप जिला प्रषासन पर लगा रहे हैं।

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जबकि प्रदेश के अन्य महोत्सव को देखा जाए तो प्रचार-प्रसार सहित महोत्सव की ख्याति के लिए जाने माने कलाकारों को आमंत्रित किया जाता है, लेकिन विगत चार साल से ऐसा नहीं किया जा रहा हैं। पूर्व के वर्षों में भोरमदेव तक आने व जाने के लिए तीन दिनों तक 24 घंटे दर्जनों वाहन चलते थे। साथ ही भोरमदेव आने वालों के लिए भी सभी प्रकार की सुविधाएं देने की कोशिश की जाती थी। लेकिन जिस प्रकार से जिला प्रशासन की मनमानी हावी है, ऐसे में कही नहीं लगता कि आने वाले वर्षों में भोरमदेव महोत्सव लंबे समय तक चल भी पाएगा।