मीसाबंदियों के पेंशन को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, अपात्र ले रहे लाभ तो उनसे की जाएं वसूली

मीसाबंदियों के पेंशन को लेकर हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, अपात्र ले रहे लाभ तो उनसे की जाएं वसूली

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  • Publish Date - November 8, 2019 / 01:56 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:16 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने मीसाबंदियों के पेंशन के भौतिक सत्यापन को वैधानिक माना है। साथ ही कहा है कि भौतिक सत्यापन कराने में कोई ऋटि नहीं है। कोर्ट ने ये भी कहा है कि ये राजनीति से लिया फैसला भी नहीं है। इन सबके बीच हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि भौतिक सत्यापन में अगर कोई मीसाबंदी अपात्र पाया जाता है, तो उससे पेंशन की वसूली की जाएं।

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दरअसल मीसा बंदी सीताराम बघेल व अन्य द्वारा यह याचिका शासन द्वारा 29 दिसंबर 2018 को शासन द्वारा मीसा बंदियों को दी जा रही पेंशन को रोके जाने के आदेश को चुनौती देते हुए पेश की गई थी। राज्य शासन द्वारा प्रत्येक मीसा बंदी को प्रति माह 25 हजार रुपए की पेंशन दी जा रही थी। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पेंशन यह कहते हुए रोक दी गई थी कि पेंशन देने में गड़बड़ी हुई है। इस कारण कई अपात्रों को भी पेंशन दी जा रही है, जो कि जेल नहीं गए थे।

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शासन का हाईकोर्ट में कहना था कि मीसाबंदियों के दस्तावेजों की जांच के कारण जनवरी 2019 से याचिकाकर्ता पेंशनधारियों की पेंशन रोक दी गई थी। आपको बता दें कि आपातकाल के दौरान राजनीतिक या सामाजिक कारणों से जेल में बंद रहे मीसाबंदियों को सरकार लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि (पेंशन) दे रही है।

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मात्र एक दिन भी मीसा कानून के तहत जेल में बंद रहने वाले व्यक्तियों को पेंशन की पात्रता दी गई है। इन्हें आठ हजार रुपए महीना पेंशन दी जा रही है। लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि नियम 2008 के तहत कम से कम एक माह जेल में बंद रहने वालों को पेंशन की पात्रता थी। जिसे 1 दिन कर दिया गया। एक माह या इससे अधिक अवधि वाले लोगों को 25 हजार रुपए मासिक पेंशन दी जा रही है।

मीसाबंदियों की प्रदेश में स्थिति
मध्य प्रदेश में फिलहाल दो हजार से ज्यादा मीसाबंदी 25 हजार रुपये महीने की पेंशन ले रहे हैं। साल 2008 में शिवराज सरकार ने मीसाबंदियों को 3000 और 6000 पेंशन देने का प्रावधान किया। बाद में ये पेंशन राशि बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई। इसके बाद साल 2017 में मीसाबंदियों की पेंशन राशि बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई। प्रदेश में 2000 से ज़्यादा मीसाबंदियों की पेंशन पर सालाना करीब 75 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। कांग्रेस सत्ता में आई तो मीसाबंदियों की पेंशन में गड़बड़ी को देखते हुए सत्यापन के आधार पर पेंशन चालू करने के आदेश दिए थे।