किसान आंदोलन का हिस्सा बनेंगे छत्तीसगढ़ के अन्नदाता, 7 जनवरी को दिल्ली रवाना होगा 1 हजार किसानों का जत्था

किसान आंदोलन का हिस्सा बनेंगे छत्तीसगढ़ के अन्नदाता, 7 जनवरी को दिल्ली रवाना होगा 1 हजार किसानों का जत्था

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  • Publish Date - January 3, 2021 / 06:33 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:46 PM IST

रायपुर: मोदी सरकार के नए कृषि कानून के विरोध में दिल्ली की सीमा पर किसानों का जत्थ पिछले 37 दिनों से डटा हुआ है। पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों किसान कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। लेकिन अब किसान आंदोलन की सुगबुगाहट अन्य राज्यों में भी होने लगी है। इसी बीच खबर आ रही है कि छत्तीसगढ़ के किसानों ने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का हिस्सा बनने का फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि 7 जनवरी को 1 हजार किसानों का जत्था दिल्ली के लिए रवाना होगा।

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मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ से जुड़े संगठनों की आज बैठक बुलाई गई थी। बैठक में कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य में किसान आंदोलन को मजबूत करने रणनीति है। किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रदेश के 1 हजार किसान 7 जनवरी को दिल्ली रवाना होंगे। वहीं, 8 जनवरी को 8 जनवरी से प्रदेश व्यापी “खेती बचाओ” यात्रा निकालने का फैसला लिया गया है। ‘खेती बचाओ’ यात्रा प्रदेश के सभी धान खरीदी केन्द्रों में चलाई जाएगी।

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बता दें कि किसान नेताओं ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि 13 जनवरी को हम कृषि क़ानूनों की कॉपियां जलाकर लोहड़ी के त्योहार को मनाएंगे। 6-20 जनवरी के बीच देशभर में किसानों के पक्ष में धरना-प्रदर्शन, मार्च आदि आयोजित किए जाएंगे। 23 जनवरी को आज़ाद हिन्द किसान दिवस मनाया जाएगा।

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किसान नेता हरमीत सिंह ने कहा है कि हम सरकार के साथ कल की बैठक में 3 फार्म कानूनों को निरस्त करने की मांग करेंगे, यहां बारिश हो रही है, इसलिए हम जलरोधी टेंट प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। हम महिलाओं और बुजुर्गों के लिए कंबल और गर्म पानी की व्यवस्था करने की कोशिश कर रहे हैं। आज संगरूर में किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। हम इसकी निंदा करते है। हम पंजाब सरकार को अवगत कराते हैं कि आपने अगर किसानों पर लाठीचार्ज बंद नहीं किए तो उनके खिलाफ पंजाब में मोर्चा खोला जाएगा।

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किसान नेता नेता ओंकार सिंह ने कहा है कि आज 37 वां दिन है, सरकार को अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए। जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, हम वापस नहीं जाएंगे। यह निराशाजनक है कि किसान अपनी जान गंवा रहे हैं। कई किसान ठंड को दूर कर रहे हैं, फिर भी सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है।

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