नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास का नया अध्याय गढ़ रही महिलाएं, विभिन्न आर्थिक योजनाओं से जुड़कर बनी आत्मनिर्भर | Women creating new chapter of development in Naxalite affected area Made self-sufficient by joining various economic schemes

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास का नया अध्याय गढ़ रही महिलाएं, विभिन्न आर्थिक योजनाओं से जुड़कर बनी आत्मनिर्भर

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास का नया अध्याय गढ़ रही महिलाएं, विभिन्न आर्थिक योजनाओं से जुड़कर बनी आत्मनिर्भर

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:46 PM IST, Published Date : December 16, 2019/11:08 am IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ के आकांक्षी जिला दंतेवाड़ा की महिलाएं विकास की दौड़ में अपने कदम बढ़ा रही हैं। दंतेवाड़ा में ई रिक्शा चलाकर यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाने वाली महिलाओं की तारीफ तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी कर चुके हैं। आत्मनिर्भरता का पर्याय बन चुकी महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं यहां ई-रिक्शा चलाने के साथ कड़कनाथ मुर्गी पालन, सेनिटरी पैड निर्माण, मध्यान्ह भोजन जैसे कई कार्य कर अपने परिवार को संबल प्रदान कर रहीं हैं। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा शुरू किये गए ‘मेहरार चो मान‘ कार्यक्रम के तहत किशोरियों और ग्रामीण महिलाओं को निःशुल्क सेनिटरी पैड वितरण कर जागरूक कर रहीं है।

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नई दिशा महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष निकिता मरकाम ने बताया कि ग्राम संगठन के माध्यम से सेनिटरी पैड का निर्माण का काम किया जाता है, ग्राम संगठन में कुल 19 महिला स्व-सहायता समूह जुड़े हैं। उनके समूह की 10 महिलाएं सेनेटरी पैड बनाने का काम करती है,अन्य महिलाएं कड़कनाथ मुर्गीपालन,मध्यान भोजन और चूड़ी खरीद कर बेचने का काम करती है,जिससे उन्हें 5 से 6 हजार महीने की कमाई हो जाती है। उन्होंने बताया कि उनके समूह ने बैक लिंकेज के माध्यम से पहले 3 लाख,उसके बाद दोबारा 1 लाख रूपए का लोन लिया था जिसका पूरा भुगतान कर दिया है। अब काम के लिए वो फिर से 3 लाख रूपये लेने की योजना बना रहीं हैं। निकिता कहती हैं कि पहले थोड़ी घबराहट थी पर अब उन्हें विश्वास है कि वो मिलकर बैंक का पूरा पैसा समय पर वापस कर देंगी। 12 वीं तक पढ़ी निकिता ने बताया कि उसके समूह की 3-4 महिलाएं ही 8वीं से 12 वीं तक पढ़ी लिखी हैं। कम पढ़ी लिखी होने के कारण उनके पास रोजगार की समस्या थी लेकिन समूहों और ग्राम संगठन से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है और महिलाएं बहुत खुश हैं।

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निकिता ने बताया कि हमारे समूह को जिला पंचायत की तरफ से ई-रिक्शा मिला हुआ है। रिक्शे के लिए सिर्फ 50 हजार रूपए ही किश्तों में जमा करना है। जिला पंचायत की ओर से लाइवली हुड कॉलेज की से हमें ई रिक्शा चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। दो-चार महिलाओं के सीखने के बाद उन लोगों ने खुद एक दूसरे को रिक्शा चलाना सिखा दिया। ई रिक्शा मिल जाने से हमारी बहुत सी मुश्किलें आसान हो गई हैं। अब वे यात्रियों को लाने ले जाने के साथ ही,सामान लाने ले जाने के लिए भी रिक्शे का उपयोग करती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ग्राम संगठन के माध्यम से 1 प्रतिशत की दर से और समूह के द्वारा महिलाओं को 2 प्रतिशत की दर से लोन उपलब्ध कराया जाता है। इससे समूह की आय भी होती है और जरूरत के समय महिलाओं को पैसे भी मिल जाते हैं।

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मां दंतेश्वरी स्व-सहायता समूह की सदस्य अनिता ठाकुर ने बताया कि जिले के सेनेटरी पैड निर्माण से महिलाएं हर माह 4-5 हजार रूपए की कमाई कर लेती हैं। समूह की दूसरी महिलाएं ईंट बनाने, साग-सब्जी उत्पादन और बेचने,मध्यान भोजन और कड़कनाथ मुर्गी पालन का काम करती हैं। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें मुर्गी पालन के लिए शेड निर्माण करके दिया गया है। उनके द्वारा लगभग 300 मुर्गे बेचे गए। कड़कनाथ मुर्गी पालन से लगभग उन्हें लगभग 1 लाख 20 हजार रूपए की आमदनी हुई है।

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