19 साल बाद 25 मार्च को रामनवमी और अष्टमी-नवमी का दुर्लभ संयोग
19 साल बाद 25 मार्च को रामनवमी और अष्टमी-नवमी का दुर्लभ संयोग
25 मार्च यानी इस रविवार का दिन बेहद खास है। ये दिन अपने साथ कई दुर्लभ और पावन संयोग को साथ समेट कर आया है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है और इस साल के चैत्र नवरात्र का आखिरी दिन रविवार को ही है। खास बात ये है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म भी हिंदू तिथि के मुताबिक चैत्र माह की नवमी को हुआ था, इसलिए रामनवमी का त्योहार भी रविवार को ही है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का संयोग रविवार को ही हो रहा है। अष्टमी तिथि 24 मार्च यानी शनिवार सुबह 10 बजकर 15 मिनट से शुरू हुई, जो रविवार सुबह 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। नवरात्र का व्रत करने वाले व्रती रविवार को ही कन्या पूजन कर रहे हैं। इस बार पिछले कई सालों की अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही है। नवरात्र की अष्टमी और नवमी को 9 कन्याओं को घर बुलाकर प्रसाद खिलाने और उपहार देने का विधान होता है। नवमी के दिन कन्याओं को नौ देवी स्वरुप मानकर स्वागत किया जाता है, उनका पूजन किया जाता है।
ज्योतिषियों के मुताबिक इस साल 19 साल बाद आद्र्धा नक्षत्र, शोभन योग, बब करण, बुधादित्य योग व अष्टमी पूजन का विशेष संयोग बना है। भगवान राम त्रेतायुग में चैत्र शुक्ल नवमी को प्रकट हुए थे, ये संयोग 19 साल पहले 25 मार्च 1999 को भी ठीक उसी तरह बना था, जिस तरह 25 मार्च 2018 को बना है। भगवान श्रीराम का जन्म दोपहर 12 बजे कर्क लग्न में हुआ था। उस दिन चैत्र शुक्ल नवमी, गुरुवार पुष्य नक्षत्र विद्यमान थे। इस साल भी आद्र्धा नक्षत्र नवमी तिथि, रविवार, शोभन योग बव करण, बुधादित्य योग व अष्टमी का विशेष पूजन भगवान राम के प्रकट्योत्सव के साथ ही होगा।

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