इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नफरती भाषण मामले में अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि रद्द की

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नफरती भाषण मामले में अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि रद्द की

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नफरती भाषण मामले में अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि रद्द की
Modified Date: August 20, 2025 / 03:23 pm IST
Published Date: August 20, 2025 3:23 pm IST

प्रयागराज, 20 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2022 के नफरती भाषण मामले में पूर्व सांसद मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी की दोषसिद्धि बृहस्पतिवार को रद्द कर दी।

न्यायमूर्ति समीर जैन ने विशेष सांसद-विधायक अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उन्हें दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

मऊ की विशेष अदालत ने भाषण मामले में 31 मई को अब्बास को दोषी ठहराते हुए दो साल के कारावास की सजा सुनाई थी।

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अब्बास ने अपीलीय अदालत का रुख किया, जिसने पांच जुलाई को उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उन्होंने राहत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना) और 189 (लोक सेवक को चोट पहुंचाने की धमकी), धारा 506 (आपराधिक धमकी) और धारा 171एफ (चुनाव में अनुचित प्रभाव डालना) के तहत सजा सुनाई गई थी।

अंसारी पर 2,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

भाषण के दौरान मंच पर मौजूद रहे अब्बास के चुनाव एजेंट मंसूर खान को भी इस मामले में दोषी ठहराते हुए छह महीने जेल की सजा सुनाई गई थी।

मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र से सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के तत्कालीन विधायक अंसारी ने राज्य सरकार के अधिकारियों को 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने पर कथित तौर पर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।

उन्होंने कथित तौर पर कहा था, ‘मैंने अखिलेश भैया (पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव) से कहा है कि सरकार बनने के बाद, छह महीने तक नौकरशाहों का कोई तबादला या पोस्टिंग नहीं होगी। सभी वहीं रहेंगे जहां वे हैं। पहले हिसाब-किताब होगा, उसके बाद ही तबादले होंगे।”

उन्होंने मऊ सीट से 38,000 से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की थी।

भाषा राजेंद्र नरेश जोहेब

जोहेब


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