आंध्र: अदालत ने दलित उत्पीड़न मामले में वाईएसआरसीपी के विधान पार्षद को दोषी ठहराया

आंध्र: अदालत ने दलित उत्पीड़न मामले में वाईएसआरसीपी के विधान पार्षद को दोषी ठहराया

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  • Publish Date - April 17, 2024 / 05:23 PM IST,
    Updated On - April 17, 2024 / 05:23 PM IST

विशाखापत्तनम, 17 अप्रैल (भाषा) शहर की एक स्थानीय अदालत ने पूर्वी गोदावरी जिले में दलितों के एक समूह के सिर मुंडवाने और उन पर हमला करने संबंधी 28 साल पुराने एक मामले में मंडापेटा विधानसभा सीट से वाईएसआरसीपी उम्मीदवार थोटा त्रिमुरथुलु और आठ अन्य को दोषी ठहराया है तथा उन्हें 18 महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई है।

ग्यारहवीं अपर जिला एवं एससी/एसटी अदालत ने मंगलवार को मामले में फैसला सुनाया। यह घटना 29 दिसंबर 1996 को अविभाजित पूर्वी गोदावरी जिले के वेंकटयापलेम गांव में हुई थी।

अदालत ने के. चिन्ना राजू और डी. वेंकट रत्नम की पिटाई करने और उनके सिर एवं भौंहे मुंडवाने के मामले में त्रिमुरथुलु और अन्य को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार (निवारण) अधिनियम, 1989 की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया।

उन दोनों के अलावा तीन अन्य लोगों पर भी हमला किया गया था।

पीड़ितों में से एक, रामैया ने त्रिमुरथुलु को दी गई सजा पर असंतोष व्यक्त करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘उसकी सजा कड़ी होनी चाहिए। उसने हमें एक साल के लिए बहिष्कृत कर दिया था और न केवल हमारे खिलाफ झूठे मामले थोपे, बल्कि हमें आजीविका से भी वंचित कर दिया।’’

रामैया के अनुसार, 1994 के चुनावों के दौरान मतदान केंद्र पर ‘धांधली’ का विरोध करने के लिए त्रिमुरथुलु और उसके लोगों ने 21 से 29 दिसंबर, 1996 तक पांच पीड़ितों पर हमले किये थे।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1994 में, त्रिमुरथुलु ने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा था, जबकि पांच पीड़ित बसपा के लिए काम कर रहे थे।

रामैया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक प्रभावी समुदाय से संबद्ध त्रिमुरथुलु ने दलितों को अपमानित किया था। उस गांव में दलितों के केवल 50 परिवार थे।

भाषा सुरेश वैभव

वैभव