सीएए विरोधी प्रदर्शनों का उद्देश्य बांग्लादेश, नेपाल की तरह सत्ता परिवर्तन करना था: पुलिस

सीएए विरोधी प्रदर्शनों का उद्देश्य बांग्लादेश, नेपाल की तरह सत्ता परिवर्तन करना था: पुलिस

सीएए विरोधी प्रदर्शनों का उद्देश्य बांग्लादेश, नेपाल की तरह सत्ता परिवर्तन करना था: पुलिस
Modified Date: November 21, 2025 / 09:12 pm IST
Published Date: November 21, 2025 9:12 pm IST

नयी दिल्ली, 21 नवंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने फरवरी 2020 के दंगों के मामले में कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका का विरोध करते हुए शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कोई साधारण धरना नहीं था, बल्कि बांग्लादेश और नेपाल की तरह सत्ता परिवर्तन के उद्देश्य से किया गया था।

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ को बताया कि दिल्ली दंगे ताहिर हुसैन, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, इशरत जहां और खालिद सैफी सहित कई आरोपियों की संलिप्तता वाली साजिश का नतीजा थे।

एक गवाह के बयान का हवाला देते हुए, राजू ने कहा कि षड्यंत्रकर्ताओं ने हिंसा की योजना बनाई, हालात बिगाड़ने और ‘‘असम को भारत से अलग करने’’ के लिए चक्का जाम किया, तथा दंगाइयों को संगठित किया।

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राजू ने पीठ से कहा, ‘‘यह गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 का एक स्पष्ट मामला है, जहां आतंकवादी कृत्य, हत्या आदि की साजिश रची जाती है। यह सीएए के खिलाफ एक साधारण धरना नहीं था, यह शासन परिवर्तन के लिए था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘धरना देने गए सभी लोग लाठियां, तेजाब की बोतलें लेकर गए थे। वे बांग्लादेश और नेपाल की तरह सत्ता परिवर्तन चाहते थे। उनके मन में संविधान के प्रति सम्मान नहीं है।’’

पीठ अब इस मामले पर 24 नवंबर को सुनवाई करेगी।

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध के बीच फरवरी, 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिसमें कम से कम 53 लोग मारे गए और लगभग 700 लोग घायल हो गए।

भाषा शफीक पवनेश

पवनेश


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