अरुणाचल के राज्यपाल ने हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए संयुक्त कार्रवाई पर जोर दिया

अरुणाचल के राज्यपाल ने हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए संयुक्त कार्रवाई पर जोर दिया

अरुणाचल के राज्यपाल ने हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास के लिए संयुक्त कार्रवाई पर जोर दिया
Modified Date: June 24, 2025 / 02:56 pm IST
Published Date: June 24, 2025 2:56 pm IST

ईटानगर, 24 जून (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) के. टी. परनाईक ने हिमालयी क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए सरकार, शैक्षिक संस्थानों और स्थानीय समुदायों के बीच समन्वित प्रयास के महत्व को रेखांकित किया।

राज्यपाल ने कहा कि हिमालय में स्वच्छ जल केवल एक बुनियादी आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह अस्तित्व से जुड़ा मामला है।

उन्होंने जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर के पिघलने और अन्य अहितकारी गतिविधियों से उत्पन्न खतरों की ओर ध्यान आकृष्ट किया।

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राज्यपाल ने सोमवार शाम यहां गोल्डन जुबली बैंक्वेट हॉल में ‘हिम संवाद 2025’ नामक तीन दिवसीय राष्ट्रीय संवाद का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘हमारा ध्यान लचीली प्रणालियां विकसित करने, स्वच्छ जल की सुलभता सुनिश्चित करने और जन स्वास्थ्य को मजबूत करने पर होना चाहिए।’’

यह कार्यक्रम सेवा इंटरनेशनल द्वारा राज्य सरकार, रीवॉच और पर्यावरण संगठनों के सहयोग से आयोजित किया गया है, जिसमें नीति निर्माता, विशेषज्ञ और जमीनी स्तर के नेता स्वास्थ्य, जल और जलवायु जैसे मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।

परनाईक ने कहा कि जल संरक्षण और जन स्वास्थ्य से जुड़े समाधानों में सामुदायिक भागीदारी को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के अनुरूप बनाया जा सके।

उन्होंने घोषणा की कि अरुणाचल प्रदेश ने केंद्र की ‘हर घर जल’ योजना के तहत 100 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल इस उपलब्धि को हासिल करने वाला पूर्वोत्तर का पहला और देश का 10वां राज्य बन गया है।

राज्यपाल ने कहा कि अब लक्ष्य यह होना चाहिए कि हर स्वास्थ्य केंद्र में सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

परनाईक ने पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों, जल संरक्षण और कृषि के क्षेत्र में देशी ज्ञान की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य की जैव विविधता कार्य योजना पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के समन्वय का सफल उदाहरण है।

अरुणाचल प्रदेश के विकास के विषय में बोलते हुए राज्यपाल ने राज्य में एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध और मादक पदार्थ विरोधी ऐप तथा जीआईएस आधारित भौगोलिक मानचित्रण जैसी डिजिटल पहलों की सराहना की और इन्हें सतत विकास आधारित शासन का मॉडल बताया।

सीमा और दूरदराज के क्षेत्रों की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कई गांव अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से महज 20-40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। ऐसे में इनका विकास राष्ट्रीय हित, पारिस्थितिकीय संतुलन और समावेशी वृद्धि को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए।

उन्होंने सीमा पार जल संसाधनों के प्रबंधन में कूटनीतिक सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

भाषा राखी संतोष

संतोष


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