माहवारी का समय आते ही बहने लगता है आंखों से खून, चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने इस तरह किया इलाज

माहवारी का समय आते ही बहने लगता है आंखों से खून, चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने इस तरह किया इलाज

माहवारी का समय आते ही बहने लगता है आंखों से खून, चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने इस तरह किया इलाज
Modified Date: November 29, 2022 / 08:50 pm IST
Published Date: March 22, 2021 1:17 pm IST

चंडीगढ़। किशोरवय लड़कियों से लेकर प्रोढ़ महिलाएं हर महीने माहवारी की समस्या से जूझती हैं। माहवारी के दौरान महिलाओं को कमर दर्द जैसी समस्याएं तो आम हैं लेकिन देश में एक महिला ऐसी भी है जिसे पीरियड्स के दौरान आंखों से खून निकलने लगता है। दरअसल 25 वर्षीय महिला आंखों से खून बहने की परेशानी होने पर चंडीगढ़ के एक अस्पताल पहुंची थी, इस महिला को कोई दर्द या परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन उसकी आंखों से खून रिसता है। महिला ने डॉक्टरों को बताया कि उसे पिछले कुछ समय से इस तरह की तकलीफ हो रही है।
ये भी पढ़ें: सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा जनता कर्फ्यू, PM मोदी…

डॉक्टरों ने पीड़ित महिला के कई तरह के टेस्ट किए लेकिन सारी रिपोर्ट नॉर्मल आ रहीं थी। डॉक्टर ब्लीडिंग के कारणों का पता नहीं लगा सके। महिला को भी इससे पहले कभी आंखों से संबंधित कोई समस्या नहीं थी।

जांच के दौरान ही डॉक्टरों ने महसूस किया कि दोनों बार जब महिला की आंखों से खून के आंसू निकले थे, तब वह माहवारी से गुजर रही थी। डॉक्टरों ने इसकी पहचान एक्सट्रेजिनल अंगों (Extragenital Organs) से मासिक धर्म के दौरान होने वाले चक्रीय रक्तस्राव के रूप में वर्णित किया गया है। इस स्थिति में पीरियड्स के दौरान महिला के होंठ, आंख, फेफड़े और पेट से भी रक्तस्राव हो सकता है।

 ⁠

ये भी पढ़ें: देश में मौत के आंकड़ों में छत्तीसगढ़ चौथे नम्बर पर,…

एक अध्ययन में बताया गया कि मासिक धर्म के दौरान हार्मोनल परिवर्तन इन अंगो को प्रभावित करते हैं, जिसके कारण रक्तस्त्राव होता है। हालांकि डॉक्टर अभी भी इस संबंध में खोज जारी रखे हैं। इस मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि एंडोमेट्रियोसिस या एक्सट्रोजेनिटल अंगों में एंडोमेट्रियो टिशू की उपस्थिति विकसित होने की वजह से ब्लींडिग हो सकती है।

ये भी पढ़ें: फसल नुकसान की भरपाई करेगी शिवराज सरकार, 18 जिलों के…

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित होने के बाद हुए अध्ययन के बाद  लेखकों ने कहा कि एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हाइपरएमिया, कंजेशन और सेकेंडरी ब्लीडिंग के परिणामस्वरूप कोशिकाओं की पागरम्यता को बढ़ा सकते हैं। महिला का ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव के अलावा एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन के संयोजन के साथ इलाज किया गया है। इलाज के तीन महीने बाद महिला अब स्वस्थ महसूस कर रही है।


लेखक के बारे में