गुवाहाटी, 22 सितंबर (भाषा) विशेष उपकरण ‘सांस’ के जरिये नवजात शिशुओं की मृत्यु दर घटाने से संबंधित एक प्रायोगिक परियोजना के सफल रहने के बाद असम सरकार ने बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप द्वारा विकसित इस वायु दबाव मशीन का अपने सभी अस्पतालों में इस्तेमाल करने का फैसला किया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
‘सांस’ एक पोर्टेबल नियोनेटल कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयर प्रेशर (सीपीएपी) प्रणाली है, जो अस्पताल में शिशुओं को सांस लेने में मदद कर सकता है और इसे यात्रा के वक्त भी लगाया जा सकता है।
स्टार्टअप ‘इनएक्सेल टेक्नोलॉजीज’ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दावा किया कि प्रायोगिक परियोजना के तहत मशीन का गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कुछ शिशुओं पर इस्तेमाल किया गया था और इसके शानदार ‘नतीजे’ आए।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘इसके बाद 50 से अधिक ‘सांस’ उपकरण को असम के विभिन्न मेडिकल कॉलेज में लगाया गया और जिला अस्पतालों में इसे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।’’
सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलीक्यूलर प्लेटफॉर्म (सी-कैंप) में स्थापित ‘इनएक्सेल टेक्नोलॉजीज’ ने असम में नवजात शिशुओं एवं बच्चों की सांस संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए इस मशीन के विकास को लेकर ‘समृद्ध हेल्थकेयर ब्लेंडेड फाइनैंस फैकल्टी’ के साथ हाथ मिलाया है।
समृद्ध अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएड) द्वारा समर्थित और आईपीई ग्लोबल द्वारा क्रियान्वित एक बहु-हितधारक नवाचार और वित्तपोषण मंच है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें विश्वास है कि ‘सांस’ असम में सभी शिशुओं को जीवनदायिनी सांस प्रदान करेगा, क्योंकि हमारे बच्चों की जान कीमती है।’’
एनएचएम असम मिशन के निदेशक एम एस लक्ष्मीप्रिया ने कहा कि इस साझेदारी से नवजात शिशुओं की मौत की वर्तमान दर को कम करने और राज्य में आवश्यक ढांचागत सहयोग की जरूरत को संबोधित करने में मदद मिलेगी।
भाषा सुरभि पारुल
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