तमिलनाडु में नीट परीक्षा नहीं करवाने का विधेयक विधानसभा में पारित

तमिलनाडु में नीट परीक्षा नहीं करवाने का विधेयक विधानसभा में पारित

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  • Publish Date - September 13, 2021 / 04:53 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:29 PM IST

चेन्नई, 13 सितंबर (भाषा) तमिलनाडु विधानसभा में सोमवार को एक विधेयक पारित कर दिया गया जिसके कानून बनने के बाद राज्य में नीट परीक्षा आयोजित नहीं की जाएगी और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेजों में कक्षा 12 में प्राप्तांक के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।

इसके साथ ही विधानसभा में उस छात्र का मुद्दा गूंजा जिसने राष्ट्रीय प्रवेश और पात्रता परीक्षा (नीट) में उपस्थित होने से पहले आत्महत्या कर ली थी। प्रमुख विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा। मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने विधेयक पेश किया जिसका कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, पीएमके तथा अन्य दलों के समर्थन किया।

भारतीय जनता पार्टी ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन किया। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में चिकित्सा, दंत चिकित्सा, भारतीय औषधि और होम्योपैथी में कक्षा 12 में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।

इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होते ही, विपक्षी दल के नेता के. पलानीस्वामी ने अपने गृह जिले सलेम में रविवार को आत्महत्या करने वाले 19 वर्षीय छात्र धनुष का मुद्दा उठाया और सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि द्रमुक ने नीट को “रद्द” करने का वादा किया था लेकिन यह नहीं किया गया और बहुत से छात्र इसके लिए तैयार नहीं थे। पलानीस्वामी के कुछ बयानों को विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पवु ने रिकॉर्ड से हटा दिया।

विपक्षी दल के विधायक काले बिल्ले लगा कर आए थे। उन्होंने पलानीस्वामी के नेतृत्व में सदन से बहिर्गमन किया। सलेम के पास एक गांव में रहने वाले धनुष ने रविवार को नीट परीक्षा में उपस्थित होने से कुछ घंटे पहले आत्महत्या कर ली थी क्योंकि उसे परीक्षा में असफल होने का डर था।

इस घटना के बाद से अखिल भारतीय अन्ना द्रमुक और द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के बीच आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया है। राज्य सरकार का आरोप है कि इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि तमिलनाडु में पहली बार नीट का आयोजन तब किया गया जब पलानीस्वामी मुख्यमंत्री थे और यह उस समय भी नहीं किया गया था जब जयललिता मुख्यमंत्री थीं। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में जिन छात्रों ने भी आत्महत्याएं की वह पलानीस्वामी के मुख्यमंत्री रहते हुई।

विधेयक में उच्च स्तरीय समिति के सुझावों का हवाला देते हुए कहा गया है कि सरकार ने स्नातक मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट की बाध्यता समाप्त करने का निर्णय लिया है ऐसी पाठ्यक्रमों में योग्यता परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।

भाषा यश नरेश

नरेश