दिल्ली विधानसभा से भाजपा विधायकों का निलंबन; अदालत ने याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा

दिल्ली विधानसभा से भाजपा विधायकों का निलंबन; अदालत ने याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा

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  • Publish Date - February 27, 2024 / 01:22 PM IST,
    Updated On - February 27, 2024 / 01:22 PM IST

नयी दिल्ली, 27 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बजट सत्र की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण को बाधित करने के लिए विधानसभा से सात भाजपा विधायकों के अनिश्चितकालीन निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर मंगलवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद ने पार्टियों से दो दिनों के भीतर यदि कोई दलील हो तो उसे संक्षेप में लिखित में दाखिल करने के लिए कहा।

अदालत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) के विधायक मोहन सिंह बिष्ट, अजय महावर, ओ.पी शर्मा, अभय वर्मा, अनिल बाजपेयी, जितेंद्र महाजन और विजेंद्र गुप्ता द्वारा दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें विशेषाधिकार समिति के समक्ष कार्यवाही के समापन तक विधानसभा से उनके अनिश्चितकालीन निलंबन को चुनौती दी गई थी।

इससे पहले अदालत ने दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति से उसके (अदालत) समक्ष मामला लंबित होने के मद्देनजर निलंबित विधायकों के खिलाफ अपनी कार्यवाही को रोकने के लिए कहा था।

विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने दलील दी थी कि विशेषाधिकार समिति के समक्ष कार्यवाही के समापन तक उनका निलंबन लागू नियमों का उल्लंघन है।

विधानसभा के अधिकारियों ने अदालत को बताया कि विधायकों का अनिश्चितकालीन निलंबन सदन में असहमति को दबाने की कोशिश में नहीं किया गया और उनके खिलाफ विशेषाधिकार समिति की कार्यवाही बिना किसी देरी के समाप्त की जाएगी।

दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के दौरान 15 फरवरी को जब उपराज्यपाल वीके सक्सेना आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की उपलब्धियों के बारे में बता रहे थे तो उनके अभिभाषण में भाजपा विधायकों ने कई बार खलल डालने की कोशिश की थी । उन्होंने कई मुद्दों पर अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमला बोला था।

इसके बाद आप विधायक दिलीप पांडे ने भाजपा विधायकों के निलंबन के लिए सदन में एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसे दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने स्वीकार कर मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया।

विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को छोड़कर, विधानसभा में अन्य सभी भाजपा विधायकों को कार्यवाही में भाग लेने से रोक दिया गया। बजट को अंतिम रूप देने में देरी के कारण सत्र को मार्च के पहले सप्ताह तक बढ़ा दिया गया है।

विधायकों द्वारा दायर की गई याचिकाओं में कहा गया कि उनका निलंबन भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार) और विधायकों के अधिकारों और विशेषाधिकारों के साथ-साथ ‘समानता’ और ‘तर्कसंगतता’ के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

भाषा प्रीति नरेश

नरेश