भाजपा ने गहलोत के ‘अरावली बचाओ’ अभियान की आलोचना की, खनन का विस्तार न करने का आश्वासन

भाजपा ने गहलोत के ‘अरावली बचाओ’ अभियान की आलोचना की, खनन का विस्तार न करने का आश्वासन

भाजपा ने गहलोत के ‘अरावली बचाओ’ अभियान की आलोचना की,  खनन का विस्तार न करने का आश्वासन
Modified Date: December 21, 2025 / 07:15 pm IST
Published Date: December 21, 2025 7:15 pm IST

जयपुर, 21 दिसंबर (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौर ने रविवार को अरावली पर्वतमाला को पुनर्परिभाषित करने वाली केंद्र सरकार की रिपोर्ट से राज्य की 90 प्रतिशत पर्वतमाला के नष्ट होने के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दावे को खारिज कर दिया।

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि रिपोर्ट में इसके संरक्षण के लिए एक सख्त ढांचा तैयार किया गया है।

उच्चतम न्यायालय ने 20 नवंबर, 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत गठित एक समिति की अरावली पर्वतमाला की परिभाषा संबंधी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।

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नई परिभाषा के अनुसार, “अरावली क्षेत्र में स्थित कोई भी पहाड़ी या भू-आकृति, जो अपने आसपास के क्षेत्र से कम से कम 100 मीटर ऊंची हो। 500 मीटर की दूरी के भीतर स्थित ऐसी दो या अधिक पहाड़ियों का समूह भी अरावली पर्वतमाला माना जाएगा।”

हालांकि, राठौर ने कहा कि 100 मीटर का मानदंड केवल ऊंचाई तक सीमित नहीं है।

उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “अदालत द्वारा स्वीकृत परिभाषा के अनुसार, 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली सभी पहाड़ियां, उनकी ढलानें और दो पहाड़ियों के बीच 500 मीटर के दायरे में आने वाला भूभाग, ऊंचाई की परवाह किए बिना, खनन के दायरे से बाहर हैं। यह ढांचा पहले से कहीं अधिक सख्त और वैज्ञानिक आधार पर है।”

विपक्ष के पूर्व नेता ने गहलोत के दावे को ‘पूरी तरह से झूठा और भ्रामक’ बताते हुए कहा कि अरावली क्षेत्र का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और आरक्षित वनों के अंतर्गत आता है, जहां खनन पूरी तरह से प्रतिबंधित है। उन्होंने कहा, “अधिसूचित अरावली क्षेत्र का केवल लगभग 2.56 प्रतिशत हिस्सा ही सीमित और कड़ाई से विनियमित खनन के अंतर्गत है।”

राठौर ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग के विश्लेषण का हवाला देते हुए आश्वासन दिया कि नई परिभाषा के तहत खनन का विस्तार नहीं होगा।

उन्होंने दावा किया कि राजसमंद के 98.9 प्रतिशत पहाड़ी क्षेत्र, उदयपुर के 99.89 प्रतिशत, गुजरात के साबरकांठा के 89.4 प्रतिशत और हरियाणा के महेंद्रगढ़ के 75.07 प्रतिशत क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यानों, पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों, आरक्षित एवं संरक्षित वनों और आर्द्रभूमि के अलावा खनन के लिए प्रतिबंधित रहेंगे।

राठौर ने कहा कि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी स्पष्ट किया है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से अरावली पर्वतमाला को कोई खतरा नहीं है और केंद्र इसके पूर्ण संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद द्वारा विस्तृत वैज्ञानिक मानचित्रण पूरा करने और एक सतत खनन प्रबंधन योजना तैयार करने तक कोई भी नया खनन पट्टा जारी नहीं किया जा सकता है।

राठौर ने कहा, “ऐसी स्थिति में, अरावली के विनाश की बात करना केवल भय पैदा करने का प्रयास है।”

उन्होंने इसके अलावा गहलोत के 18 दिसंबर को शुरू किए गए “सेव अरावली” सोशल मीडिया अभियान पर निशाना साधते हुए कहा कि गोविंद सिंह डोटासरा, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और सचिन पायलट सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर बदलकर इसका समर्थन नहीं किया।

भाजपा नेता ने आरोप लगाया, “जब पार्टी के शीर्ष नेता ही इस अभियान के साथ खड़े नहीं हैं, तो यह स्पष्ट है कि यह एक राजनीतिक दिखावा है, पर्यावरण आंदोलन नहीं।”

भाषा जितेंद्र रंजन

रंजन


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