साइकिल चलाकर लाल किला पहुंचा लड़का घर लौटने का रास्ता भूला, पुलिस ने परिवार से मिलवाया

साइकिल चलाकर लाल किला पहुंचा लड़का घर लौटने का रास्ता भूला, पुलिस ने परिवार से मिलवाया

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  • Publish Date - November 28, 2021 / 07:45 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:15 PM IST

नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) दिल्ली और विशेष रूप से इसके ऐतिहासिक स्मारकों के दर्शन के लिये उत्सुक 12 वर्षीय लड़का उत्तम नगर में अपने घर से साइकिल चलाकर 26 किलोमीटर दूर लालकिला पहुंच गया, लेकिन इसके बाद उसे एहसास हुआ कि वह घर वापस जाने का रास्ता भूल गया है।

पुरानी दिल्ली के हलचल भरे इलाके में खोया हुआ लड़का सूरज डूबने से घबरा गया और इस उम्मीद में मदद तलाशने लगा कि कोई उसे राष्ट्रीय राजधानी के पश्चिमी हिस्से में उत्तम नगर में नवादा वापस ले जाएगा।

हालांकि इस दौरान 12 वर्षीय लड़के को याद आया कि कैसे ऐसी स्थितियों में केवल पुलिस पर भरोसा किया जा सकता है। कुछ देर लाल किला इलाके में घूमने के बाद उसने एक मोबाइल पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) वैन को देखा।

पुलिस अधिकारियों ने 23 नवंबर की इस घटना के बारे में बताते हुए कहा कि जब लड़का पीसीआर वैन के पास पहुंचा तो वह घबराया हुआ था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कर्मियों ने उसे शांत कराते हुए पूछा कि वह कहां रहता है। हालांकि वह अपनी बात सही ढंग से नहीं समझा पाया और उसे घर वापस जाने का सही रास्ता याद नहीं था। उसने बस उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन का जिक्र किया।

लड़का नाबालिग था, इसलिये पुलिस ने उसका नाम उजागर नहीं किया।

अधिकारियों ने कहा कि लड़का दोपहर के बाद घर से निकला और शाम को लाल किले पर पहुंचा। रात हो चुकी थी और कुछ समय स्मारक के आसपास रहने के बाद लौटते समय वह खो गया।

उन्होंने बताया कि कोतवाली थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे जहां पीसीआर वैन थी और लड़के को कोतवाली थाने ले गए। अधिकारियों ने कहा कि हालांकि लड़के ने लाल किले के बारे में सुना था, लेकिन उसने कभी नहीं सोचा था कि वह उस तक पहुंच जाएगा।

उन्होंने कहा कि कांस्टेबल विनय वासला को लड़के को सुरक्षित उसके घर वापस छोड़ने का काम सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि लड़के ने पुलिस को बताया कि वह उन्हें उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन से नवादा ले जा सकता है।

वासला ने बताया, ”उसने कहा कि वह उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन पहुंचने के बाद अपने घर के रास्ते की पहचान कर सकता है। जब हम वहां पहुंचे, तो उसने कहा कि उसके घर के बगल में एक सरकारी स्कूल है। हमने उसके निर्देशों का पालन किया और आखिरकार उसके घर पहुंच गए।”

उन्होंने कहा कि घर पहुंचकर उसे उसके परिवार के सदस्यों से मिलवा दिया गया जो बेसब्री से उसका इंतजार कर रहे थे।

भाषा

जोहेब नरेश

नरेश