Chandrayaan 3: ISRO ने पूरा किया लॉन्च रिहर्सल, 14 जुलाई को होगी लॉन्चिंग, 10 चरणों में पहुंचेगा चंद्रमा की सतह तक
Chandrayaan 3: ISRO ने पूरा किया लॉन्च रिहर्सल, 14 जुलाई को होगी लॉन्चिंग, 10 चरणों में पहुंचेगा चंद्रमा की सतह तक
Cost of Chandrayaan-3
नई दिल्ली। Chandrayaan 3 इसरों ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग के लिए रिहर्सल भी कर ली है। यह रिहर्सल 24 घंटे चलता है। अब 14 जुलाई को लॉन्चिंग करने का इंतजार है। रिहर्सल का माहौल एकदम वैसा ही होता है, जैसे लॉन्च के समय होता है। बस इस वक्त रॉकेट को लॉन्च नहीं करते। ऐसा इसलिए करते हैं ताकि सभी सेंटर्स को उनका काम और उससे संबंधित क्रम याद रहे। रिहर्सल इसलिए किया जाता है ताकि तकनीकी दिक्कतों पर काम किया जा सके। साथ ही लॉन्च से पहले सभी क्रमों पर ध्यान रखा जाता है।
Chandrayaan 3 2019 में चंद्रयान-2 की आंशिक सफलता के बाद 4 साल में ISRO ने लगातार ऐसे परीक्षण किए, जिनसे चंद्रयान-3 की हर संभावित खामी से निपटा जा सके। मसलन, फेल होने पर क्या होगा और हल या विकल्प क्या हो सकते हैं। यह जानकारी ISRO के चेयरमैन ने दी है।
इसरो चीफ ने चंद्रयान-2 के दौरान तीसरी बड़ी गड़बड़ी लैंडिंग स्पॉट से जुड़ी बताया। उन्होंने बताया कि लैंडर चांद की सतह पर उतरने के लिए जगह की तलाश कर रहा था। लैंडिंग की जगह नहीं मिल रही थी जबकि लैंडर पहले ही चांद की सतह के बहुत करीब पहुंच चुका था। लैंडिंग स्पॉट 500 मीटर गुना 500 मीटर के क्षेत्रफल तक सीमित था और उसे खोजने के सिलसिले में क्राफ्ट अपनी रफ्तार बढ़ा रहा था। एस. सोमनाथ बताते हैं, ‘बहुत चैलेंजिंग स्थिति थी।
10 चरणों में चंद्रमा की सतह तक पहुंचेगा चंद्रयान-3
पहला- लॉन्च से पहले का स्टेज. दूसरा- लॉन्च और रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जाना और तीसरा- धरती की अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रयान-3 को आगे बढ़ाना। इस दौरान चंद्रयान-3 करीब छह चक्कर धरती के चारों तरफ लगाएगा। फिर वह दूसरे फेज की तरफ बढ़ जाएगा।
दूसरा चरण
दूसरा चरण लूनर ट्रांसफर फेज यानी चंद्रमा की तरफ भेजने का काम। इस फेज में ट्रैजेक्टरी का ट्रांसफर होता है। यानी स्पेसक्राफ्ट लंबे से सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ने लगता है।
तीसरा चरण
तीसरे चरण में लूनर ऑर्बिट इंसर्सन फेज (LOI) यानी चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 को भेजा जाएगा।
चौथा चरण
चौथे चरण में 7 से 8 बार ऑर्बिट मैन्यूवर करके चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा।
पांचवां चरण
पांचवें चरण में प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे।
छठवां चरण
छठवें चरण डी-बूस्ट फेज यानी जिस दिशा में जा रहे हैं, उसमें गति को कम किया जाएगा।
सातवां चरण
प्री-लैंडिंग फेज यानी लैंडिंग से ठीक पहले की स्थिति. लैंडिंग की तैयारी शुरू की जाएगी।
आठवां चरण
जिसमें लैंडिंग कराई जाएगी।
नौवां चरण
लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंच कर सामान्य हो रहे होंगे।
दसवां चरण
प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचना।

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