बाल अधिकारों को जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन रणनीतियों से जोड़ा जाना चाहिए : नायडू
बाल अधिकारों को जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन रणनीतियों से जोड़ा जाना चाहिए : नायडू
नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कहा कि बाल अधिकारों को प्रमुख राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन रणनीतियों, नीतियों और योजना दस्तावेजों से जोड़ा जाना चाहिए।
‘पार्लियामेंटरियन्स ग्रुप ऑफ चिल्ड्रन’ और यूनिसेफ द्वारा विश्व बाल दिवस के अवसर पर आयोजित ‘बच्चों के साथ जलवायु संसद’ विषयक ऑनलाइन वेबिनार को संबोधित करते हुए नायडू ने जलवायु परिवर्तन के विचार-विमर्श में बच्चों को शामिल करने की वकालत की।
उन्होंने स्कूलों और जमीनी स्तर पर जलवायु परिवर्तन, उसके प्रभावों के बारे में जागरुकता लाने की जरूरत बताई ताकि बच्चों को बदलाव का अग्रदूत और भविष्य के बदलाव का नेतृत्व करने वाला बनाया जा सके।
नायडू ने कहा, ‘‘बाल अधिकारों को प्रमुख राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन रणनीतियों, नीतियों तथा योजना दस्तावेजों से जोड़ा जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन पर हमारी कार्रवाई में ‘बाल केंद्रित’ सोच अपनाने की जरूरत है।’’
उप राष्ट्रपति ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़े रखते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन से हर साल लाखों लोगों की जान जा सकती है और इनमें बच्चे अधिक संख्या में हो सकते हैं जो बीमारी और कुपोषणा के प्रति संवेदनशील होते हैं।
उन्होंने चेताया, ‘‘बच्चे (0-14 साल) दुनिया की आबादी के एक चौथाई हैं और वे जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होने वाले सबसे बड़े और संवेदनशील समूह हैं।’’
गर्मी के कुप्रभावों और मच्छरों आदि से होने वाली बीमारियों में वृद्धि जैसे ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों के संदर्भ में उप राष्ट्रपति ने कहा कि बदलती जलवायु दुनिया की खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डाल देगी और इससे भूख तथा कुपोषण बढ़ेगा। बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
भाषा वैभव उमा
उमा

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