धर्मांतरण:न्यायालय ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ याचिका में इस्तेमाल की गई कड़ी भाषा को नरम करने कहा

धर्मांतरण:न्यायालय ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ याचिका में इस्तेमाल की गई कड़ी भाषा को नरम करने कहा

धर्मांतरण:न्यायालय ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ याचिका में इस्तेमाल की गई कड़ी भाषा को नरम करने कहा
Modified Date: December 12, 2022 / 08:45 pm IST
Published Date: December 12, 2022 8:45 pm IST

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) जबरन धर्मांतरण के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने सोमवार को याचिकाकर्ता के वकील से याचिका में इस्तेमाल की गई कड़ी भाषा को नरम करने पर विचार करने के लिए कहा।

इससे पहले एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि कुछ धर्मों के अनुयायियों के बारे में ‘‘गंभीर और चिंतित करने वाले’’ ये आरोप लगाए गए हैं कि वे “बलात्कार और हत्या को बढ़ावा देने वाले” हैं।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद पी दातार से इस मुद्दे पर विचार करने को कहा।

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पीठ ने मौखिक रूप से कहा, “आप कृपया विचार करें कि यह आरोप क्या है। आप कृपया इस पर विचार करें और इसे नरम करें।”

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, एक पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने मामले में पक्षकार बनाने का अनुरोध किया और कहा कि धर्मों के खिलाफ कुछ बहुत ही गंभीर और घृणित आरोप हैं।

दवे ने कहा, “यह आरोप कि कुछ धर्म बलात्कार और हत्याओं को अंजाम दे रहे हैं, न्यायाधीश की फाइल में नहीं होने चाहिए। आपको उन्हें वापस लेने के लिए कहना चाहिए।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उपलब्ध नहीं होने के कारण पीठ ने मामले पर सुनवाई नौ जनवरी तक के लिये टाल दी।

शीर्ष अदालत ने पूर्व में कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन एक “गंभीर मुद्दा” है और संविधान के खिलाफ है।

शीर्ष अदालत वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कपटपूर्ण तरीके से कराये जाने वाले धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए केंद्र और राज्यों को कड़े कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

उच्चतम न्यायालय ने हाल में कहा था कि जबरन धर्मांतरण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकता है और नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता का अतिक्रमण कर सकता है। शीर्ष अदालत ने केंद्र से इस “बेहद गंभीर” मुद्दे से निपटने के लिए गंभीरता से प्रयास करने को कहा था।

भाषा प्रशांत सुभाष

सुभाष


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