Advisory for cough syrup: पालक ध्यान दें.. खांसी के सिरप का इस्तेमाल सोच-समझकर करें, मासूमों के मौत के बाद सजग हुई सरकार
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव ने निगरानी बढ़ाने और आईडीएसपी के सामुदायिक रिपोर्टिंग टूल का व्यापक प्रसार करने और अंतर-राज्यीय समन्वय को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया।
Advisory for cough syrup || Ministry of Health and Family Welfare, Government of India file
- खांसी सिरप पर केंद्र ने सख्त निर्देश जारी किए
- बच्चों में तार्किक उपयोग पर दिया गया ज़ोर
- घटिया सिरप निर्माता पर आपराधिक कार्रवाई शुरू
Advisory for cough syrup: नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने खांसी के सिरप की गुणवत्ता और उपयोग से संबंधित हाल की चिंताओं को देखते हुए एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बैठक में औषधि गुणवत्ता मानकों के अनुपालन की समीक्षा और खास तौर से बच्चों के मामलों में खांसी के सिरप के तार्किक उपयोग को बढ़ावा देने पर विचार किया गया। इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने इस मामले की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया था कि आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के साथ विचार विमर्श किया जाए।
बैठक में रसायन और उर्वरक मंत्रालय में फार्मास्यूटिकल विभाग के सचिव श्री अमित अग्रवाल, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ राजीव बहल, स्वास्थ्य सेवाओं की महानिदेशक डॉ सुनीता शर्मा, भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ राजीव रघुवंशी और राष्ट्रीय व्याधि नियंत्रण केंद्र के निदेशक डॉ रंजन दास भी मौजूद थे। इसमें सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव (स्वास्थ्य), औषधि नियंत्रक, स्वास्थ्य/चिकित्सा सेवाओं के निदेशक और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक तथा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
बातचीत तीन प्रमुख विषयों पर केंद्रित रही –
- अनुसूची एम और औषधि निर्माण इकाइयों में गुणवत्ता मानदंडों से संबंधित सामान्य सुरक्षा नियमों (जीएसआर) के अन्य प्रावधानों का अनुपालन।
- बच्चों में खांसी के सिरप के तार्किक उपयोग को बढ़ावा देना तथा अतार्किक संमिश्रण और अनुचित फॉर्मूलेशन से बचना।
- खुदरा दवा विक्रेताओं से संबंधित नियमों को मजबूत करना ताकि इस तरह के फॉर्मूलेशन की बिक्री और दुरुपयोग को रोका जा सके।
यह बैठक मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की कथित तौर पर खांसी के मिलावटी सिरप से मौत की रिपोर्टों के बीच आयोजित की गई। प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएमएबीएचआईएम) के अंतर्गत स्थापित मेट्रोपोलिटन निगरानी इकाई (एमएसयू) ने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के एक प्रखंड में इन मामलों और इनसे संबंधित मौतों की रिपोर्ट राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के अंतर्गत एकीकृत व्याधि निगरानी कार्यक्रम को दी थी। इस स्थिति के मद्देनजर एनसीडीसी, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के महामारीविदों, सूक्ष्मजीव विज्ञानियों और कीटविज्ञानियों, औषधि निरीक्षकों और अन्य विशेषज्ञों के एक केंद्रीय दल ने छिंदवाड़ा और नागपुर का दौरा किया। इस दल ने मौत के मामलों का मध्य प्रदेश के अधिकारियों के साथ तालमेल से विस्तृत विश्लेषण किया।
Advisory for cough syrup: विभिन्न नैदानिक, पर्यावरणीय, कीटविज्ञानिक और औषधीय नमूनों को एकत्र कर उन्हें एनआईवी (पुणे), केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (मुंबई) और नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरणीय इंजीनियरी अनुसंधान संस्थान (एनईईआरआई) भेजा गया। जांच के शुरुआती नतीजों में लेप्टोस्प्रिाइरोसिस के एक मामले को छोड़ कर आम संक्रामक रोगों की आशंका से इनकार किया गया। बच्चों को जो दवाएं दी गई थीं उनके 19 नमूने उनका इलाज करने वाले प्राइवेट डॉक्टरों और खुदरा दवाखानों से एकत्र किए गए। इनमें से जिन 10 नमूनों का अब तक रासायनिक विश्लेषण किया गया उनमें से 9 गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पाए गए। लेकिन खांसी के एक सिरप ‘कोल्डरिफ’ में डाईएथिलिनग्लाइकोल (डीईजी) स्वीकृत सीमा से अधिक था। इसके बाद तमिलनाडु खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कांचीपुरम स्थित इस दवा की निर्माण इकाई के खिलाफ नियामक कार्रवाई की है। सीडीएससीओ ने अपनी जांच के नतीजों के आधार पर उत्पादन लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की है। इस इकाई के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही भी शुरू कर दी गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी दवा निर्माताओं द्वारा संशोधित अनुसूची एम का कड़ाई से पालन करने पर ज़ोर दिया। राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे बच्चों में खांसी के सिरप का तार्किक उपयोग करें क्योंकि ज़्यादातर खांसी अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए औषधी की आवश्यकता नहीं होती। बैठक में बाल चिकित्सा के लिए खांसी के सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर डीजीएचएस द्वारा जारी परामर्श पर भी चर्चा की गई।
बैठक में यह भी बताया गया कि प्रणालीगत कमियों की पहचान करने और गुणवत्ता आश्वासन तंत्र को मज़बूत करने के लिए छह राज्यों की 19 विनिर्माण इकाइयों में जोखिम-आधारित निरीक्षण (आरबीआई) शुरू किए गए हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह भी सलाह दी गई कि वे निगरानी बढ़ाएँ, सभी स्वास्थ्य सुविधाओं (सरकारी और निजी दोनों) द्वारा समय पर रिपोर्टिंग करें, आईडीएसपी-आईएचआईपी के सामुदायिक रिपोर्टिंग टूल का व्यापक प्रसार करें और प्रकोप प्रतिक्रिया और असामान्य स्वास्थ्य घटनाओं की शीघ्र रिपोर्टिंग करें और संयुक्त कार्रवाई के लिए अंतर-राज्यीय समन्वय को मज़बूत करें।
डॉ. राजीव बहल ने कहा कि बच्चों को किसी भी दुष्प्रभाव से बचाने के लिए कफ सिरप या दवाओं का कोई भी संमिश्रण नहीं दिया जाना चाहिए। डॉ. बहल ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय संयुक्त प्रकोप प्रतिक्रिया दल पहले से कार्यरत है, जो एनसीडीसी, आईसीएमआर आदि जैसे विभिन्न केंद्रीय संगठनों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करता है। इससे ज़रूरतमंद राज्यों की सहायता की जा सकती है। उन्होंने राज्यों को आपदा से निपटने के लिए अपनी एजेंसियों के बीच समन्वय को मज़बूत करने की भी सलाह दी।
डॉ. सुनीता शर्मा ने बच्चों के लिए खांसी के सिरप के तर्कसंगत उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि बच्चों में खांसी की दवाओं से बहुत कम लाभ होता है और उसके जोखिम भी बहुत अधिक होते हैं। उन्होंने ओवरडोज़ से बचने के लिए सभी दवाओं की जाँच और दवाओं के कंसन्ट्रेशन की जाँच पर भी बल दिया। डॉ. शर्मा ने यह भी बताया कि इस संबंध में माता-पिता, फार्मासिस्टों और डॉक्टरों के लिए शीघ्र ही दिशानिर्देश तैयार किए जाएंगे और राज्यों के साथ साझा किए जाएंगे।
Advisory for cough syrup: डॉ. राजीव रघुवंशी ने दवा निर्माण इकाइयों द्वारा अच्छी विनिर्माण पद्धतियों (जीएमपी) के लिए संशोधित अनुसूची एम का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि सरकार की अवसंरचना उन्नयन योजना के लिए आवेदन करने वाली कुछ फर्मों को दिसंबर 2025 तक का समय दिया गया है और उन्होंने राज्यों से संशोधित जीएमपी मानदंडों को सख्ती से लागू करने का आग्रह किया।
फार्मासिटिकल विभाग ने बताया कि कई विनिर्माण इकाइयों ने जीएमपी उन्नयन के लिए संशोधित औषधि प्रौद्योगिकी उन्नयन सहायता योजना (आरपीटीयूएएस) का लाभ उठाना शुरू कर दिया है।
राजस्थान के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने बताया कि अब तक की जाँच से पता चला है कि चारों मौतें खांसी के सिरप की गुणवत्ता से संबंधित नहीं थीं। उन्होंने बताया बाल चिकित्सा फॉर्मूलेशन के तर्कसंगत उपयोग के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अत्यधिक सावधानी बरतते हुए विभिन्न नियामक कार्रवाईयां की गई हैं और आगे भी जाँच की जा रही है।
महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा, सचिव ने बताया कि नागपुर के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में भर्ती बच्चों का सर्वश्रेष्ठ इलाज किया जा रहा है।
राज्यों/केंद्र शासित राज्यों ने दवा गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशासन को मजबूत करने के लिए किये जा रहे प्रयासों और उपलब्धियों से मंत्रालय को अवगत कराया तथा अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले कार्यों को भी बताया।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव ने निगरानी बढ़ाने और आईडीएसपी के सामुदायिक रिपोर्टिंग टूल का व्यापक प्रसार करने और अंतर-राज्यीय समन्वय को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा की गुणवत्ता और मरीजों की कुशलता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने की अपनी प्रतिबद्धता को पुष्ट किया और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए त्वरित, समन्वित और निरंतर कार्रवाई करते रहने का निर्देश दिया।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने खांसी के सिरप की गुणवत्ता और उसके तार्किक उपयोग को लेकर राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की
➡️बैठक में सभी औषधि निर्माताओं द्वारा संशोधित अनुसूची एम का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने, दोषी इकाइयों की पहचान करने और उनके खिलाफ कठोर… pic.twitter.com/aRCxmWtone
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) October 6, 2025

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