कोर्ट ने दी NEET-PG 2021 के लिए काउंसलिंग शुरू करने की अनुमति, OBC को 27 और EWS को 10 ​% आरक्षण |

कोर्ट ने दी NEET-PG 2021 के लिए काउंसलिंग शुरू करने की अनुमति, OBC को 27 और EWS को 10 ​% आरक्षण

उच्चतम न्यायालय ने 2021 की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) की रुकी हुई काउंसलिंग प्रक्रिया को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की मौजूदा सीमा के आधार पर फिर से शुरू करने का रास्ता शुक्रवार को साफ कर दिया।

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 07:53 PM IST, Published Date : January 7, 2022/7:05 pm IST

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नयी दिल्ली, सात जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 2021 की राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातकोत्तर (नीट-पीजी) की रुकी हुई काउंसलिंग प्रक्रिया को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की मौजूदा सीमा के आधार पर फिर से शुरू करने का रास्ता शुक्रवार को साफ कर दिया। इस आदेश से उन अनेक डॉक्टरों को राहत मिलेगी जो स्नातकोत्तर (पीजी) चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए इंतजार कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने अंतरिम आदेश सुनाते हुए कहा, ‘‘काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू करने की तत्काल आवश्यकता है’’। पीठ ने लगातार दो दिन तक आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के निर्धारण के लिए आठ लाख रुपये सालाना आय मानदंड की स्वीकार्यता के विषय पर सुनवाई की थी। पीठ ने कहा कि फैसले की विस्तृत व्याख्या जल्द ही बाद में की जाएगी।

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पीठ ने कहा, ‘‘नीट-पीजी 2021 और नीट-यूजी 2021 के आधार पर काउंसलिंग 29 जुलाई 2021 को जारी नोटिस में दर्ज आरक्षण को प्रभावी बनाते हुए की जाएगी। जिसमें अखिल भारतीय कोटा सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दस प्रतिशत आरक्षण शामिल है।’’

शीर्ष अदालत ने कुछ डॉक्टरों की याचिकाओं पर यह अंतरिम आदेश दिया। डॉक्टरों ने केंद्र और मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के 29 जुलाई, 2021 के नोटिस को चुनौती दी थी। पीठ ने कहा कि भविष्य में ईडब्ल्यूएस की पहचान के लिए पांडे समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों की वैधता पर निर्णय याचिकाओं पर सुनवाई के बाद लिया जाएगा। केन्द्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की यह दलील कि ओबीसी आरक्षण गैरकानूनी है, कानूनी रूप से टिक नहीं सकती।

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मेहता ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आठ लाख रुपये की आय के मानदंड के क्रियान्वायन को सही ठहराते हुए कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने उचित विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया है। केन्द्र ने अजय भूषण पांडे, पूर्व वित्त सचिव, वीके मल्होत्रा, सदस्य सचिव, आईसीएसएसआर और केंद्र के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की तीन सदस्यीय समिति का पिछले साल 30 नवंबर को गठन किया था।

समिति ने पिछले वर्ष 31 दिसंबर को केन्द्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था,‘‘ ईडब्ल्यूएस के लिए वर्तमान सकल वार्षिक पारिवारिक आय सीमा आठ लाख रुपये या उससे कम को बरकरार रखा जा सकता है। या अन्य शब्दों में, केवल वे परिवार जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रुपये तक है केवल वे ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ पाने के पात्र होंगे।’’