नयी दिल्ली, सात दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र को छोड़ कर सभी राज्यों को जिला और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों में जनवरी 2022 तक सभी रिक्तियां भरने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश की पीठ ने यह जिक्र किया कि काफी संख्या में राज्य नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करने के करीब हैं।
तमिलनाडु के बारे में शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को कुछ न्यायाधीशों की नियुक्ति करनी होगी और राज्य सरकार इस उद्देश्य के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से संपर्क करेगी तथा ‘‘हमें उम्मीद है कि तत्काल आधार पर नामांकन किये जाएंगे। ’’
मामले में न्यायमित्र नियुक्त किये गये अधिवक्ता आदित्य नारायण ने आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के बारे में एक व्यापक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की।
पीठ ने कहा, ‘‘न्यायमित्र ने दो महीने का समय सुझाया है, जो जनवरी 2022 तक है। यह राज्यों द्वारा पूरी तरह से अनुपालन किये जाने के लिए पर्याप्त होना चाहिए। इसमें ऐसे राज्य शामिल हैं जिन्होंने आंशिक रूप से अनुपालन किया है लेकिन वहां रिक्तियां नहीं भरी गई है, हालांकि महाराष्ट्र अपवाद है, जिसे भारत संघ और राज्य की विशेष अनुमति याचिका पर फैसले का इंतजार करना होगा।’’
न्यायालय ने अदालतों के बुनियादी ढांचे के विकास के मुद्दे पर कहा कि उपयोग प्रमाणपत्र श्रेणी के तहत लंबित कोष बहुत अच्छी स्थिति बयां नहीं करता है।
न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अधिकार प्राप्त समिति, नोडल अधिकारी, राज्य और केद्र शासित प्रदेश, ये सभी यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं कि आवंटित कोष उपयुक्त रूप से उपयोग किये जाएं और निर्धारित समय के अंदर उपयुक्त उपयोग प्रमाणपत्र के साथ यह सुनिश्चित किया जाए कि कोष उपयोग के बगैर नहीं रह जाए तथा योजना के तहत उसका उपयोग हो। ’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम केंद्र सरकार और राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से एक हफ्ते के अंदर इस उद्देश्य के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने की अपील करते हैं। ’’
न्यायालय ने इस मामले में सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायण और अधिवक्ता आदित्य नारायण को न्यायमित्र नियुक्त किया है।
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सुभाष अनूप
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