न्यायालय ने केंद्र को मौजूदा टीका नीति पर गौर करने का निर्देश दिया, कहा- इससे असमानता पैदा हो सकती है

न्यायालय ने केंद्र को मौजूदा टीका नीति पर गौर करने का निर्देश दिया, कहा- इससे असमानता पैदा हो सकती है

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  • Publish Date - May 3, 2021 / 07:10 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 07:52 PM IST

नयी दिल्ली, तीन मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को कोविड-19 मूल्य नीति पर फिर से गौर करने का निर्देश देते हुए कहा है कि पहली नजर में इससे लोक स्वास्थ्य के अधिकार के लिए हानिकारक नतीजे होंगे।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि आज की तारीख में निर्माताओं ने दो अलग कीमतों का सुझाव दिया है। इसके तहत, केंद्र के लिए कम कीमत और राज्य सरकारों को टीके की खरीद पर अधिक कीमत चुकानी होगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य सरकारों को प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने और नए निर्माताओं को आकर्षित करने के नाम पर निर्माताओं के साथ बातचीत के लिए बाध्य करने से टीकाकरण वाले 18 से 44 साल के उम्र समूह के लोगों के लिए गंभीर नतीजे होंगे।

पीठ ने कहा कि आबादी के अन्य समूहों की तरह इस उम्र समूह में वे लोग भी शामिल हैं जो बहुजन हैं या दलित और हाशिए के समूहों से संबंधित हैं। हो सकता है कि उनके पास भुगतान करने की क्षमता नहीं हो।

पीठ ने कहा, ‘‘जरूरी टीके उनके लिए उपलब्ध होंगे या नहीं यह हरेक राज्य सरकार के इस फैसले पर टिका होगा कि वह अपने वित्त पर निर्भर करता है या नहीं, यह टीका मुफ्त में उपलब्ध कराया जाना चाहिए या नहीं और सब्सिडी दी जानी चाहिए या नहीं और दी जाए तो किस सीमा तक। इससे देश में असमानता पैदा होगी। नागरिकों का किया जा रहा टीकाकरण जनता की भलाई के लिए है।’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि विभिन्न वर्गों के नागरिकों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है, जो समान हालात का सामना कर रहे हैं। केंद्र सरकार 45 साल और उससे अधिक उम्र की आबादी के लिए मुफ्त टीके प्रदान करने का भार वहन करेगी, राज्य सरकारें 18 से 44 आयु वर्ग की जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगी, ऐसी वाणिज्यिक शर्तों पर वे बातचीत कर सकते हैं।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘मौजूदा नीति की संवैधानिकता पर हम कोई निर्णायक फैसला नहीं दे रहे हैं लेकिन जिस तरह से मौजूदा नीति तैयार की गयी है उससे संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जन स्वास्थ्य के अधिकार के लिए हानिकारक परिणाम होंगे। ’’

पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए हमारा मानना है कि संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष बराबरी) और अनुच्छेद 21 (जीवन की सुरक्षा और निजी स्वतंत्रता) के पालन के साथ केंद्र सरकार को अपनी मौजूदा टीका नीति पर फिर से गौर करना चाहिए।’’

वर्तमान में लोगों को ‘कोविशील्ड’ और ‘कोवैक्सीन’ टीके की खुराकें दी जा रही है।

कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक सेवा और आपूर्ति बनाए रखने के लिए स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में ये निर्देश दिये हैं।

भाषा सुरभि अनूप

अनूप