अदालत ने किसान के 31 पैसे बकाया रह जाने पर प्रमाणपत्र नहीं जारी करने पर एसबीआई को लगाई फटकार

अदालत ने किसान के 31 पैसे बकाया रह जाने पर प्रमाणपत्र नहीं जारी करने पर एसबीआई को लगाई फटकार

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  • Publish Date - April 28, 2022 / 04:28 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

अहमदाबाद, 28 अप्रैल (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने भूमि सौदे के एक विषय में एक किसान पर महज 31 पैसे बकाया रह जाने पर उसे ‘अदेयता प्रमाणपत्र’ (नो ड्यूज सर्टिफिकेट) जारी नहीं करने को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को फटकार लगाई है।

अदालत ने कहा, ‘‘यह उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है।’’ न्यायमूर्ति भार्गव करिया ने बुधवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए बैंक के प्रति नाखुशी जताई।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हद हो गई, एक राष्ट्रीयकृत बैंक कहता है कि महज 31 पैसे बकाया रह जाने के कारण अदेयता प्रमाणपत्र नहीं जारी किया जा सकता। ’’

याचिकाकर्ता राकेश वर्मा और मनोज वर्मा ने अहमदाबाद शहर के पास खोर्जा गांव में किसान शामजीभाई और उनके परिवार से वर्ष 2020 में एक भूखंड खरीदा था।

शामजीभाई ने एसबीआई से लिये गये फसल रिण को पूरा चुकाने से पहले ही याचिकाकर्ता को जमीन तीन लाख रुपये में बेच दी थी, ऐसे में भूखंड पर बैंक के शुल्क के कारण याचिकाकर्ता (भूमि के नये मालिक) राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम नहीं दर्ज करवा सकते थे।

हालांकि, किसान ने बाद में बैंक का पूरा कर्ज चुकता कर दिया, लेकिन इसके बावजूद एसबीआई ने उक्त प्रमाणपत्र कुछ कारणवश जारी नहीं किया।

इसके बाद, भूमि के नये स्वामी वर्मा ने उच्च न्यायालय का रुख किया। बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति करिया ने बैंक का बकाया नहीं होने का प्रमाणपत्र अदालत में पेश करने के लिए कहा। इस पर एसबीआई के वकील आनंद गोगिया ने कहा, ‘‘यह संभव नहीं है क्योंकि किसान पर अब भी 31 पैसे का बकाया है। यह प्रणालीगत मामला है।’’

इस पर न्यायमूर्ति करिया ने कहा कि 50 पैसे से कम की राशि को नजरअंदाज करके इस मामले में उक्त प्रमाणपत्र जारी करना चाहिये क्योंकि किसान ने पहले ही पूरा कर्ज चुका दिया है।

वहीं,जब गोगिया ने कहा कि प्रबंधक ने प्रमाणपत्र नहीं देने के मौखिक आदेश दिये हैं, तो न्यायाधीश ने नाखुशी व्यक्त करते हुए अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह प्रबंधक को अदालत में पेश होने के लिए कहे।

न्यायमूर्ति करिया ने कहा कि बैंकिंग नियामक कानून कहता है कि 50 पैसे से कम की रकम की गणना नहीं की जानी चाहिये, ऐसे में आप लोगों का उत्पीड़न क्यों कर रहे हैं? न्यायमूर्ति ने कहा कि यह प्रबंधक द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है।

भाषा संतोष सुभाष

सुभाष