समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने संबंधी अपराध 2022 में 31 फीसदी से अधिक बढ़े : एनसीआरबी |

समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने संबंधी अपराध 2022 में 31 फीसदी से अधिक बढ़े : एनसीआरबी

समूहों के बीच दुश्मनी बढ़ाने संबंधी अपराध 2022 में 31 फीसदी से अधिक बढ़े : एनसीआरबी

:   Modified Date:  December 6, 2023 / 06:47 PM IST, Published Date : December 6, 2023/6:47 pm IST

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) समूहों के बीच शत्रुता बढ़ाने के लिए भारतीय दंड संहिता (भादंस) की धारा 153ए के तहत वर्ष 2022 में पूरे देश में 1,500 से अधिक मामले दर्ज किए गए जो वर्ष 2021 की तुलना में 31.25 प्रतिशत अधिक हैं, लेकिन 2020 की तुलना में 15.57 प्रतिशत कम हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताजा आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

धारा 153ए के तहत नफरत भरे भाषण के अपराधों सहित अन्य कृत्यों से विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के लिए सजा का प्रावधान है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल इस धारा के तहत 1,523 मामले दर्ज किए गए जिनमें उत्तर प्रदेश के 217, राजस्थान के 191, महाराष्ट्र के 178, तमिलनाडु के 146, तेलंगाना के 119, आंध्र प्रदेश के 109 और मध्य प्रदेश के 108 मामले शामिल हैं।

वर्ष 2022 में, नौ राज्यों ने भादंस की धारा 153ए के तहत 100 से अधिक मामले दर्ज किए, जबकि 2021 में केवल दो राज्यों- आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश- में ऐसे मामले तीन अंकों में दर्ज किए गए थे।

आंकड़ों के अनुसार, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश दोनों ने 2021 में धारा 153ए के तहत 108 अपराध दर्ज किए थे।

एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश में ऐसे अपराधों की संख्या लगभग तीन गुना होकर 108 पर पहुंच गई, लेकिन 2021 में यह संख्या 38 थी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2020 में ऐसे 73 मामले दर्ज किए गए थे।

कुछ राज्यों में तो आंकड़े 2021 की तुलना में 2022 में बढ़कर दोगुने से भी ज्यादा हो गए, जिनमें उत्तर प्रदेश (217 और 108), महाराष्ट्र (178 और 75), राजस्थान (191 और 83) और गुजरात (40 और 11) शामिल हैं।

एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार, असम ने 2020 में धारा 153ए के तहत 147 अपराधिक मामले दर्ज किए थे, लेकिन 2021 में इस तरह के 75 मामले दर्ज किए गए और पिछले साल यह आंकड़ा घटकर 44 हो गया।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में 26, 2021 में 17 और 2020 में 36 ऐसे मामले दर्ज किए गए। जम्मू और कश्मीर में 2022 में 16, 2021 में 28 और 2020 में 22 ऐसे अपराध हुए।

भाषा शफीक संतोष

संतोष

 

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