कोडाइकनाल वेधशाला में एकत्रित आंकड़ों से सूर्य के रहस्यों को सुलझाने में मदद मिली

कोडाइकनाल वेधशाला में एकत्रित आंकड़ों से सूर्य के रहस्यों को सुलझाने में मदद मिली

कोडाइकनाल वेधशाला में एकत्रित आंकड़ों से सूर्य के रहस्यों को सुलझाने में मदद मिली
Modified Date: December 21, 2025 / 04:34 pm IST
Published Date: December 21, 2025 4:34 pm IST

चेन्नई, 21 दिसंबर (भाषा) सौ साल पुरानी कोडाइकनाल सौर वेधशाला में वर्षों से एकत्रित दैनिक सौर प्रेक्षणों से सूर्य की चुंबकीय गतिविधि में अक्षांशों के अनुसार होने वाले परिवर्तनों के बारे में नयी जानकारी मिली है। इस खोज से अंतरिक्ष-मौसम पूर्वानुमान और जलवायु मॉडल में भी मदद मिल सकती है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अधीन स्वायत्त निकाय भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में सूर्य के प्रकाश की कैल्शियम-के रेखा में कैप्चर किए गए 11 वर्षों (2015-2025) के स्पेक्ट्रोस्कोपिक डेटा का विश्लेषण किया गया। यह स्पेक्ट्रल सिग्नेचर सूर्य के क्रोमोस्फीयर में बहुत ऊपर बनता है और चुंबकीय गतिविधि के संवेदनशील मार्कर के रूप में कार्य करता है।

शोध के लेखकों में शामिल अपूर्व श्रीनिवास ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘सूर्य पर किए गए सभी अध्ययन अंततः अंतरिक्ष मौसम को समझने के लिए आवश्यक हैं, जिसका पृथ्वी पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, जितना अधिक हम समझेंगे, संभावित व्यवधानों और आपदाओं के लिए हम उतनी ही बेहतर तैयारी कर सकेंगे।’

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उन्होंने कहा कि हाल में निरंतर अवलोकन के 125 वर्ष पूरे करने वाली कोडाइकनाल सौर वेधशाला में दुनिया का सबसे वृहद सौर डेटासेट उपलब्ध है।

श्रीनिवास के अनुसार, शोध टीम ने इस समृद्ध संग्रह का इस्तेमाल यह पता लगाने के लिए किया कि सूर्य की चुंबकीय तीव्रता अक्षांशों में कैसे बदलती है – जिससे उच्च गतिविधि के लगातार क्षेत्र सामने आए, जो सूर्य के 11-वर्षीय सनस्पॉट शिखर चक्र के अनुरूप हैं।

अध्ययन के प्रमुख लेखक के पी राजू ने कहा, “सूर्य आग का स्थिर गोला नहीं है, बल्कि चुंबकीय रूप से सक्रिय तारा है, जो गतिविधि के व्यापक चक्रों का अनुसरण करता है।”

आईआईए के पूर्व प्रोफेसर ने कहा, “सूर्य को अक्षांशीय पट्टियों में विभाजित करके और प्रत्येक से आने वाले एकीकृत प्रकाश का विश्लेषण करके, हम उन पैटर्न को उजागर कर सकते हैं, जो सूर्य के धब्बों जैसी अलग-अलग विशेषताओं का अध्ययन करते समय अदृश्य होते हैं।”

टीम ने पाया कि अधिकांश चुंबकीय गतिविधि 40 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश के बीच केंद्रित होती है, जिसमें 15 डिग्री से 20 डिग्री के आसपास स्पष्ट शिखर होते हैं, जो उन क्षेत्रों से मेल खाते हैं, जहां सूर्य के धब्बे सबसे अधिक बार होते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि आंकड़ों की ऐसी निरंतरता दुर्लभ है और इससे वैश्विक सौर अनुसंधान में भारत के वैज्ञानिक समुदाय को असाधारण बढ़त मिलती है। 1899 में स्थापित कोडाइकनाल सौर वेधशाला सूर्य के बदलते स्वरूप को प्रतिदिन दर्ज करती है और दुनिया के सबसे लंबे और सबसे सुसंगत सौर अभिलेखों में से एक को संरक्षित करती है।

भाषा आशीष दिलीप

दिलीप


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