अनुकंपा नियुक्ति का दावा करने में विलंब तत्काल मदद देने के उद्देश्य को विफल करता है: न्यायालय |

अनुकंपा नियुक्ति का दावा करने में विलंब तत्काल मदद देने के उद्देश्य को विफल करता है: न्यायालय

अनुकंपा नियुक्ति का दावा करने में विलंब तत्काल मदद देने के उद्देश्य को विफल करता है: न्यायालय

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : November 20, 2021/3:56 pm IST

नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि मृतक सरकारी कर्मचारी के आश्रित द्वारा अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का दावा करने में किसी भी प्रकार का विलंब ऐसे परिवार को तत्काल मदद प्रदान करने के उद्देश्य को विफल करता है।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने दावा करने में देरी का हवाला देते हुए भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) के एक दिवंगत कर्मचारी के बेटे को अनुकंपा के आधार पर नौकरी प्रदान करने के उड़ीसा उच्च न्यायालय और केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के सहमति के फैसलों को रद्द कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘दावा करने/अदालत जाने में देरी अनुकंपा नियुक्ति के दावे के खिलाफ होगी क्योंकि परिवार को तत्काल मदद प्रदान करने का उद्देश्य समाप्त हो जाएगा।’’

कैट, जिसके 2019 के फैसले को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था, उसने सेल को दिवंगत कर्मचारी के दूसरे बेटे को अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने के लिए कहा था। बेटे ने अपनी मां गौरी देवी के जरिए 1996 में नौकरी का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

दिलचस्प बात यह है कि दूसरे बेटे से पहले, दिवंगत कर्मचारी के पहले बेटे ने भी 1977 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए सेल अधिकारियों से संपर्क किया था जब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी और उस समय उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी।

मामले के तथ्यों का जिक्र करते हुए न्यायमूर्ति शाह ने पीठ के लिए फैसला लिखते हुए कहा कि इस स्तर पर यह ध्यान देने की जरूरत है कि साल 1977 में बड़े बेटे ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था, जिसे खारिज कर दिया गया था।

पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त तथ्य के बावजूद, दूसरी बार आवेदन दायर किया गया था जो अब वर्ष 1996 में दूसरे बेटे की नियुक्ति के लिए था, जो कि 18 साल की अवधि के बाद था। इस तथ्य के बावजूद कि दूसरा आवेदन करने में 18 साल की देरी थी, दुर्भाग्य से, न्यायाधिकरण ने फिर भी अपीलकर्ता को मामले पर फिर से विचार करने और दूसरे बेटे को अनुकंपा के आधार पर नियुक्त करने का निर्देश दिया, जिसकी पुष्टि उच्च न्यायालय द्वारा अपने निर्णय और आदेश में की गई है।’’

उच्च न्यायालय और न्यायाधिकरण के फैसलों को खारिज करते हुए फैसले में कहा गया कि वह व्यक्ति ‘‘बहुत विलंब’’ के आधार पर अनुकंपा नियुक्ति पाने का हकदार नहीं है।

भाषा देवेंद्र मानसी

मानसी

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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