परीक्षा परिणाम में देरी : दिविवि के स्नातकों ने अदालत से जेएनयू को दाखिला देने का निर्देश देने का अनुरोध किया

परीक्षा परिणाम में देरी : दिविवि के स्नातकों ने अदालत से जेएनयू को दाखिला देने का निर्देश देने का अनुरोध किया

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  • Publish Date - January 6, 2021 / 12:40 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:59 PM IST

नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) कोविड-19 महामारी के कारण स्नातक पाठ्यक्रम परीक्षाओं के परिणाम की घोषणा में देरी के बीच तीन छात्रों ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय को उन्हें स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला देने का निर्देश दे।

तीनों छात्रों ने दावा किया है कि दिविवि द्वारा स्नातक के परीक्षा परिणाम की घोषणा में देरी के कारण जेएनयू प्रवेश परीक्षा में अच्छे अंक होने के बावजूद उन्हें दाखिला नहीं दे रहा है।

छात्रों की अर्जी पर जेएनयू के वकील ने कहा कि कई पाठ्यक्रमों के लिए दाखिला अभी भी जारी है और छात्रों द्वारा आवेदन किए गए पाठ्यक्रम में अगर सीट की उपलब्धा होगी और वे योग्य हैं तो विश्वविद्यालय उनके आवेदन पर नरमी से विचार करेगा।

मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति प्रतीक जालान ने जेएनयू की वकील मोनिका अरोड़ा की दलील स्वीकार करते हुए कहा कि यह स्पष्ट दिया गया है कि छात्रों का परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया है, यह प्रावधान कि जिन छात्रों के परिणाम आ गए हैं उन्हें दाखिले में प्राथमिकता दी जाएगी, उनके दाखिले के रास्ते में रोड़ा नहीं बनना चाहिए और अगर संबंधित पाठ्यक्रमों में सीटें उपलब्ध हैं और वे योग्य हैं तो दाखिला मिलना चाहिए।

दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी (ऑनर्स) और राजनीतिशास्त्र (ऑनर्स) के स्नातक के तीन छात्र अपने-अपने विषय में जेएनयू में एमए में दाखिला लेना चाहते हैं।

छात्रों की ओर से पेश हुए वकीलों कवलप्रीत कौर और हैदर अली ने कहा कि छात्रों ने जेएनयू की प्रवेश परीक्षा दी थी और विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए जारी पहली सूची में तय अंकों से ज्यादा अंक प्राप्त किए हैं।

जेएनयू ने तीन मार्च, 2020 को शिक्षण सत्र 2020-21 के लिए ई-प्रॉस्पेक्टस प्रकाशित किया था और उसमें विस्तार से दाखिले की प्रक्रिया बतायी थी।

छात्रों को समस्या उस प्रावधान से है जिसमें कहा गया है कि दाखिले में उन छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनकी पात्रता परीक्षा का परिणाम घोषित हो गया हो।

भाषा अर्पणा उमा

उमा