दिल्ली पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी में शामिल गिरोह का भंडाफोड़ किया, तीन लोग गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी में शामिल गिरोह का भंडाफोड़ किया, तीन लोग गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी में शामिल गिरोह का भंडाफोड़ किया, तीन लोग गिरफ्तार
Modified Date: December 1, 2025 / 04:14 pm IST
Published Date: December 1, 2025 4:14 pm IST

नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) दिल्ली पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी में शामिल एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को विदेशों में रोजगार दिलाने का झांसा देकर उनके साथ कथित तौर पर ठगी करता था। पुलिस ने एक सहायक बैंक प्रबंधक सहित गिरोह के तीन प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि आरोपियों की पहचान गुजरात के केतन दीपक कुमार (24), पश्चिम बंगाल के संजीब मंडल (34) और गुरुग्राम के रवि कुमार मिश्रा (29) के रूप में हुई है।

ये कथित तौर पर विदेशों में नौकरी दिलाने का झांसा देने और पीड़ितों के पैसे को ‘म्यूल अकाउंट’ के माध्यम से हस्तांतरित करने में शामिल थे।

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‘म्यूल अकाउंट’ (मुखौटा खाते) किसी अन्य नाम से बनाया गया बैंक खाता होता है, जिसका इस्तेमाल साइबर अपराधी अवैध धन प्राप्त करने और उसे स्थानांतरित करने के लिए करते हैं, जिससे जांच एजेंसियों के लिए धन के मूल स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

उनके पास से दो लैपटॉप, छह मोबाइल फोन और कथित अपराध से अर्जित 50,000 रुपये बरामद किए गए।

पुलिस के अनुसार, यह मामला एक ऐसे व्यक्ति की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसकी कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरी चली गई थी और वह विदेश में काम की तलाश में था। उसे ‘फ्लाईअब्रॉड 6’ नामक एक समूह से न्यूज़ीलैंड में आकर्षक नौकरी का प्रस्ताव मिला था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ठगों ने उनका विश्वास जीतने के लिए कथित तौर पर फर्जी वीजा प्रतियां और जाली पंजीकरण दस्तावेज साझा किए और 2.80 लाख रुपये में ‘शेफ/कुक’ वीजा दिलाने का वादा किया।

शिकायतकर्ता ने 1.80 लाख रुपये भेज दिए, उसके बाद आरोपी ने कोई जवाब देना बंद कर दिया। बाद में सत्यापन से पता चला कि उसके साथ साझा किया गया वीजा, ऑफर लेटर और यात्रा टिकट जाली थे। इस संबंध में सात अक्टूबर को दक्षिण-पश्चिम दिल्ली में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

उन्होंने बताया कि पुलिस ने गिरोह से जुड़े संचार, बैंक लेनदेन और डिवाइस लोकेशन का विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि ठगी की रकम एक ‘म्यूल अकाउंट’ (मुखौटा खाते) के जरिए भेजी जाती थी, फिर सुराग छिपाने के लिए उसे दूसरे खाते में डाला जाता था।

पुलिस ने बताया कि बीटेक की पढ़ाई छोड़ चुका और ट्रैवल एजेंट के तौर पर काम करने वाला केतन कुमार कथित तौर पर मुखौटा खातों की व्यवस्था करता था और वित्तीय लेन-देन का समन्वय करता था।

एमबीए स्नातक मंडल खुद को एक सलाहकार बताकर पीड़ितों से संपर्क करता था। एक बैंक में सहायक प्रबंधक मिश्रा ने कथित तौर पर अपने पद का इस्तेमाल करके गिरोह द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर खाते खुलवाए।

पुलिस ने बताया कि ऐसा माना जा रहा है कि इस गिरोह ने इसी तरह की रणनीति अपनाकर कई लोगों को ठगा है और आगे की जांच जारी है।

भाषा गोला संतोष

संतोष


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