धनखड़ ने न्यायपालिका के संबंध में ‘राष्ट्र-विरोधी’ विमर्श को निष्प्रभावी करने का आह्वान किया

धनखड़ ने न्यायपालिका के संबंध में 'राष्ट्र-विरोधी' विमर्श को निष्प्रभावी करने का आह्वान किया

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  • Publish Date - March 29, 2024 / 10:37 PM IST,
    Updated On - March 29, 2024 / 10:37 PM IST

नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को भारत की न्यायिक प्रणाली और लोकतांत्रिक ताने-बाने के बारे में ”राष्ट्र-विरोधी” विमर्श को निष्प्रभावी करने का आह्वान करते हुए कहा कि किसी भी व्यक्ति या समूह द्वारा ऐसे किसी भी मामले में समझौता नहीं किया जा सकता है।

धनखड़ ने यह भी कहा कि ‘ऐसे लोगों’ की तलाश करने की जरूरत है, जो ‘निश्चित रूप से इस राष्ट्र के अनुकूल नहीं हैं’।

उनकी यह टिप्पणी वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा सहित 600 से अधिक वकीलों द्वारा भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को लिखे उस पत्र के बाद आई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि एक ‘निहित स्वार्थ समूह’ न्यायपालिका और अदालतों को बदनाम करने, विशेषकर राजनेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों में दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।

देश भर से आए वकीलों ने 26 मार्च को अपने पत्र में कहा, ‘‘ये रणनीति हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं।’’

उन्होंने कहा कि इस ‘कठिन समय’ में प्रधान न्यायाधीश का नेतृत्व महत्वपूर्ण है और शीर्ष अदालत को मजबूती से खड़ा होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह सम्मानजनक चुप्पी बनाए रखने का समय नहीं है।

पत्र में बिना नाम लिये वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है। यह आरोप लगाया गया है कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।

यहां भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) में एक कार्यक्रम में धनखड़ ने कहा कि भारत एक मजबूत न्यायिक प्रणाली वाला एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है जिससे कोई भी व्यक्ति या समूह समझौता नहीं कर सकता है।

धनखड़ ने कहा, ‘हमें अपनी मजबूत न्यायिक प्रणाली, लोकतांत्रिक ढांचे और हमने जो हासिल किया है, उसके संबंध में राष्ट्र विरोधी विमर्श को निष्प्रभावी करने के लिए बेहद सावधान, संवेदनशील और सक्रिय रहना होगा।’

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणियों के लिए अमेरिका और जर्मनी पर प्रत्यक्ष कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि भारत मजबूत न्यायिक प्रणाली वाला एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है।

भाषा सुरेश माधव

माधव