कर्नाटक कैबिनेट में जाति जनगणना पर चर्चा ‘अधूरी’ रही, बाद में फिर होगी चर्चा

कर्नाटक कैबिनेट में जाति जनगणना पर चर्चा 'अधूरी' रही, बाद में फिर होगी चर्चा

कर्नाटक कैबिनेट में जाति जनगणना पर चर्चा ‘अधूरी’ रही, बाद में फिर होगी चर्चा
Modified Date: May 22, 2025 / 07:29 pm IST
Published Date: May 22, 2025 7:29 pm IST

बेंगलुरु, 22 मई (भाषा) कर्नाटक मंत्रिमंडल की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा ‘अधूरी’ रही और इस पर बाद में फिर चर्चा की जाएगी। राज्य के विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल ने यह जानकारी दी।

अधिकांश मंत्रियों ने सर्वेक्षण पर अपनी राय लिखित रूप में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को सौंप दी है। सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को ‘जाति जनगणना’ के नाम से भी जाना जाता है।

पाटिल ने कहा, ‘‘मंत्रिमंडल ने आज एक बार फिर सामाजिक एवं शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चर्चा की, चर्चा अधूरी रही। मुख्यमंत्री ने पहले कैबिनेट मंत्रियों से लिखित में अपनी राय देने को कहा था और तीन या चार को छोड़कर अधिकांश मंत्रियों की राय मुख्यमंत्री तक पहुंच गई है।’’

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उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘कुछ विवरण प्राप्त करने और उनका अध्ययन करने के बाद इस विषय पर अगली कैबिनेट बैठक या उसके बाद की बैठक में चर्चा की जाएगी।’’

दस मई को हुई पिछली कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना रिपोर्ट पर कोई भी निर्णय टालने का निर्णय लिया गया था, ताकि इस पर विस्तार से चर्चा की जा सके, क्योंकि मंत्रियों को अतिरिक्त जानकारी प्रदान की गई थी।

ऐसी जानकारी मिली है कि उस बैठक में मंत्रियों को तालुकवार और जिलेवार जनसंख्या के आंकड़े सहित सर्वेक्षण रिपोर्ट के अतिरिक्त खंड प्रदान किए गए थे।

इससे पहले जाति जनगणना रिपोर्ट पर आंतरिक मतभेद के बीच इस पर चर्चा के लिए 17 अप्रैल को हुई राज्य मंत्रिमंडल की विशेष बैठक बिना किसी बड़े निर्णय के बेनतीजा समाप्त हो गई थी।

सूत्रों के अनुसार, 17 अप्रैल को कुछ मंत्रियों ने कई लोगों द्वारा इसे ‘‘अवैज्ञानिक’’ बताए जाने का हवाला देते हुए सर्वेक्षण रिपोर्ट पर आपत्ति जतायी थी। इसके बाद, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सभी मंत्रियों से लिखित या मौखिक रूप से अपनी राय देने को कहा था।

विभिन्न समुदायों, विशेषकर कर्नाटक के दो प्रमुख समुदायों – वोक्कालिगा और वीरशैव-लिंगायत – ने इस सर्वेक्षण पर कड़ी आपत्ति जताई है और इसे ‘‘अवैज्ञानिक’’ बताते हुए मांग की है कि इसे खारिज किया जाए तथा एक नया सर्वेक्षण कराया जाए।

समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा भी इस सर्वेक्षण पर आपत्ति जताई गई है तथा सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर से भी इसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक में अपनी ही पार्टी की सरकार को सतर्क करते हुए मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और मंत्रियों से आग्रह किया कि जाति जनगणना को सही तरीके से लागू किया जाए।

उन्होंने कहा, ‘मैं सिद्धरमैया और उनकी कैबिनेट के सभी मंत्रियों से कहना चाहता हूं कि जनगणना (जाति जनगणना) जरूर करें, लेकिन वह जनगणना सही तरीके से होनी चाहिए और उससे राहुल गांधी की छवि को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। अगर आप केवल खुद को श्रेय दिलाने के लिए ऐसा करेंगे, तो इससे पूरे राज्य के लिए समस्याएं पैदा होंगी।’

खरगे ने कर्नाटक में कांग्रेस सरकार के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में होसपेट में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही थी।

भाषा अमित पवनेश

पवनेश


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