अखलाक मामले में आरोप वापस लेने की सरकार की याचिका खारिज होना स्वागत योग्य: बृंदा करात

अखलाक मामले में आरोप वापस लेने की सरकार की याचिका खारिज होना स्वागत योग्य: बृंदा करात

अखलाक मामले में आरोप वापस लेने की सरकार की याचिका खारिज होना स्वागत योग्य: बृंदा करात
Modified Date: December 23, 2025 / 07:30 pm IST
Published Date: December 23, 2025 7:30 pm IST

नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की वरिष्ठ नेता बृंदा करात ने मंगलवार को कहा कि 2015 में अखलाक नामक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने (मॉब लिंचिंग) के मामले में आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला वापस लेने से संबंधित उत्तर प्रदेश सरकार का हलफनामा खारिज करने का अदालत का फैसला स्वागत योग्य है।

उन्होंने इसे न्याय कि दिशा में ‘‘बड़ा कदम’’ और उत्तर प्रदेश सरकार के चेहरे पर तमाचा करार दिया।

करात ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “हम ग्रेटर नोएडा जिला अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। इसने आरोपियों के खिलाफ दर्ज मॉब लिंचिंग, हत्या और हत्या के प्रयास मामले में उत्तर प्रदेश सरकार का हलफनामा खारिज कर दिया है।”

 ⁠

उन्होंने कहा, “यह न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह न्याय की प्रक्रियाओं को तहस-नहस करने के लिए उत्तर प्रदेश की ‘डबल इंजन’ सरकार के चेहरे पर एक तमाचा है। यह मॉब लिंचिंग के मामलों को वापस लेने के लिए अन्य ‘डबल इंजन’ सरकारों के किसी भी प्रयास के खिलाफ एक सशक्त संदेश है।”

उत्तर प्रदेश के दादरी में सितंबर 2015 में भीड़ ने घर में गोमांस रखने के शक में अखलाक नामक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस मामले पर पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। घटना में अखलाक के बेटे दानिश (22) को भी गंभीर चोट लगी थी।

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप वापस लेने की कोशिश की।

सूरजपुर की एक अदालत ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका खारिज कर दी, जिसमें अखलाक की हत्या के आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने की अनुमति मांगी गई थी। अदालत ने निर्देश दिया कि दैनिक आधार पर मुकदमे की सुनवाई जारी रखी जाए।

अखलाक के परिवार के वकील यूसुफ सैफी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि अतिरिक्त जिला एंव सत्र न्यायाधीश की अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से दायर याचिका को ‘‘निराधार’’ बताते हुए खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि अगली सुनवाई छह जनवरी को होगी।

भाषा जोहेब नेत्रपाल

नेत्रपाल


लेखक के बारे में