डीयू की समिति ने आपत्तियों के बाद अर्थशास्त्र और इतिहास के पाठ्यक्रमों को संशोधन के लिए वापस भेजा
डीयू की समिति ने आपत्तियों के बाद अर्थशास्त्र और इतिहास के पाठ्यक्रमों को संशोधन के लिए वापस भेजा
नयी दिल्ली, 23 दिसंबर (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय की शैक्षणिक मामलों की स्थायी समिति ने अर्थशास्त्र और इतिहास विभाग के दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम के दूसरे सेमेस्टर के लिए प्रस्तावित अतिरिक्त वैकल्पिक पाठ्यक्रमों पर चर्चा की। समिति ने ‘इकोनॉमिक्स एंड जेंडर’ नामक वैकल्पिक पाठ्यक्रम में आपत्तियों के बाद इसे संशोधित करने का सुझाव दिया। एक आधिकारिक बयान में यह कहा गया है।
सोमवार को हुई बैठक में सदस्यों ने आपत्ति जताई कि ‘इकोनॉमिक्स एंड जेंडर’ में अंतरंग साथी की हिंसा, घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे विषय शामिल किए गए हैं जो अर्थशास्त्र से मेल नहीं खाते। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुछ वैकल्पिक पाठ्यक्रम कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित नहीं हैं।
बयान में कहा गया है कि सदस्यों ने यह भी तर्क दिया कि ये विषय अर्थशास्त्र से संबंधित नहीं हैं और पाठ्यक्रम के शीर्षक के अनुरूप नहीं हैं।
इस पाठ्यक्रम का विरोध करने वाले केशव महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और स्थायी समिति के सदस्य धनपाल सिंह ने कहा कि सदस्यों ने पाठ्यक्रम को प्रस्तुत करने के तरीके पर आपत्ति जताई और ‘क्राइम एंड जेंडर’ पर ‘यूनिट’ तीन के बारे में कड़ी आपत्ति व्यक्त की।
कमला नेहरू कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर और स्थायी समिति की सदस्य मोनामी सिन्हा ने पाठ्यक्रम का बचाव करते हुए कहा कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा की आर्थिक लागतें आर्थिक अध्ययन का एक स्थापित क्षेत्र हैं और इस पर पर्याप्त शैक्षणिक साहित्य मौजूद है।
बयान के अनुसार इतिहास विभाग ने भी दूसरे सेमेस्टर के लिए अपने डीएससी और डीएसई के पाठ्यक्रम पेश किए, जिन पर सदस्यों ने आपत्ति जताई और इसे ‘वैश्विक इतिहास की ओर झुका हुआ’ पाठ्यक्रम करार दिया।
भाषा
शुभम पवनेश
पवनेश

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