निर्वाचन आयोग ने एसआईआर का समय एक सप्ताह के लिए बढ़ाया; अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को

निर्वाचन आयोग ने एसआईआर का समय एक सप्ताह के लिए बढ़ाया; अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को

निर्वाचन आयोग ने एसआईआर का समय एक सप्ताह के लिए बढ़ाया; अंतिम मतदाता सूची 14 फरवरी को
Modified Date: November 30, 2025 / 09:35 pm IST
Published Date: November 30, 2025 9:35 pm IST

नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) निर्वाचन आयोग ने नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के पूरे कार्यक्रम को रविवार को एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया।

आयोग ने यह कदम विपक्षी दलों के इन आरोपों के बीच उठाया कि ‘‘कम समय-सीमा’’ लोगों और जमीनी स्तर के चुनाव अधिकारियों के लिए समस्याएं पैदा कर रही है।

आयोग के अधिकारियों ने बताया कि कार्यक्रम में बदलाव इसलिए किया गया है ताकि इसके बूथ स्तरीय अधिकारी (बीएलओ) अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ‘‘मृत, डुप्लीकेट मतदाता और दूसरी जगह चले गए निर्वाचकों’’ का ब्योरा पार्टियों के बूथ स्तरीय एजेंटों (बीएलए) के साथ साझा कर सकें।

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निर्वाचन आयोग ने एक बयान में कहा कि गणना प्रपत्र वितरण अब चार दिसंबर के बजाय 11 दिसंबर तक जारी रहेगा। मसौदा मतदाता सूची अब नौ दिसंबर की जगह 16 दिसंबर को प्रकाशित की जाएगी, जबकि अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी के स्थान पर 14 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ आंतरिक चर्चा के आधार पर एसआईआर के सभी चरणों की समय-सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है जहां यह प्रक्रिया जारी है।

एक निर्वाचन अधिकारी ने कहा, ‘‘मसौदा सूची तैयार करने से पहले बीएलओ द्वारा अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और डुप्लिकेट मतदाताओं का विवरण बीएलए के साथ साझा करने के लिए एक और सप्ताह का समय दिया जा रहा है, ताकि पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।’’

बूथ स्तरीय एजेंट राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त पार्टी कार्यकर्ता होते हैं जो बीएलओ को मतदाता सूची को अद्यतन करने में मदद करते हैं।

बूथ स्तरीय एजेंट की उपस्थिति इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाती है।

विपक्षी दलों ने एसआईआर के दौरान कम से कम 40 बूथ स्तरीय अधिकारियों की मौत होने का दावा करते हुए, मतदाता सूची में संशोधन किये जाने के समय पर सवाल उठाया है। उन्होंने दावा किया किया इनमें से ज्यादातार ने ‘‘कम समय सीमा’’ होने के कारण तनाव में आकर आत्महत्या की।

हालांकि, निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है।

एसआईआर कार्यक्रम में संशोधन के निर्वाचन आयोग के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि यह इस बात का संकेत है कि निर्वाचन आयोग को पता था कि समय-सीमा ‘‘व्यावहारिक’’ नहीं थी।

एसआईआर कार्यक्रम में बदलाव का फैसला सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर लिया गया।

पिछले सत्र में विपक्ष द्वारा एसआईआर पर चर्चा की मांग के कारण संसद की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई थी। उस समय बिहार में एसआईआर की कवायद की जा रही थी।

सर्वदलीय बैठक से बाहर आते हुए, विपक्षी नेताओं ने सत्र के सुचारू संचालन पर कहा कि वे एसआईआर पर चर्चा के लिए दबाव डालेंगे।

निर्वाचन आयोग ने 27 अक्टूबर को इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर की घोषणा की थी। लगभग 51 करोड़ मतदाता इस कवायद के दायरे में आएंगे।

ये राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं — अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल।

इनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में 2026 में चुनाव होंगे। असम में, जहां 2026 में चुनाव होने हैं, मतदाता सूची के संशोधन की घोषणा अलग से की गई है। इसे ‘विशेष संशोधन’ कहा जा रहा है।

अधिकांश राज्यों ने मतदाता सूची का पिछला एसआईआर 2002 और 2004 के बीच किया था, और उन्होंने अपने-अपने राज्यों में हुए पिछले एसआईआर के अनुसार वर्तमान मतदाताओं की ‘मैपिंग’ लगभग पूरी कर ली है।

मतदाताओं की ‘मैपिंग’ से तात्पर्य वर्तमान मतदाताओं को मतदाता सूची में उनकी पिछली प्रविष्टियों से जोड़ने, पते का सत्यापन करने तथा बूथ स्तरीय अधिकारियों द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन के माध्यम से विसंगतियों को ठीक करने की प्रक्रिया से है।

एसआईआर का मुख्य उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों के जन्मस्थान की जांच करके उन्हें मतदाता सूची से बाहर करना है। यह कदम विभिन्न राज्यों में रह रहे बांग्लादेश और म्यांमा के अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के मद्देनजर महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

भाषा सुभाष नरेश

नरेश


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