दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में ईडी ने आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध किया

दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में ईडी ने आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध किया

दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में ईडी ने आरोपियों की जमानत याचिका का विरोध किया
Modified Date: December 13, 2022 / 08:17 pm IST
Published Date: December 13, 2022 8:17 pm IST

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर (भाषा) दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से संबंधित धनशोधन के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार को ‘आप’ के विजय नायर और कारोबारी शरत रेड्डी व अभिषेक बोइनपल्ली की जमानत याचिका का विरोध किया।

इस मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी एक आरोपी हैं।

ईडी ने विशेष न्यायाधीश एम. के. नागपाल से अनुरोध किया कि वह तीनों आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दें। जमानत याचिका पर अपने जवाब में ईडी ने यह बात कहीं।

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एजेंसी ने अदालत से कहा कि अगर राहत दी जाती है तो आरोपी जांच में बाधा डाल सकते हैं और न्याय की पहुंच से दूर जा सकते हैं।

अदालत ने शरत रेड्डी की जमानत याचिका पर विस्तृत बहस के लिए मामले को 17 दिसंबर के लिए स्थगित कर दिया, जबकि नायर व बोइनपल्ली की याचिकाओं पर वह 19 दिसंबर को सुनवाई करेगी।

अदालत 17 दिसंबर को ही एक अन्य सह-आरोपी समीर महेंद्रू द्वारा दायर जमानत अर्जी पर भी सुनवाई करेगी, जबकि बिनय बाबू की जमानत याचिका पर सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।

सभी पांच आरोपी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।

ईडी ने 27 सितंबर को दिल्ली के जोर बाग में स्थित शराब वितरक इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक व्यवसायी समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया था, जबकि अरबिंदो फार्मा के निदेशक शरत रेड्डी और इंटरनेशनल ब्रांड्स पर्नोड रिकर्ड के महाप्रबंधक बिनॉय बाबू को 10 नवंबर में गिरफ्तार किया गया था।

ईडी ने 14 नवंबर को आम आदमी पार्टी (आप) के संचार प्रभारी विजय नायर और हैदराबाद के व्यवसायी अभिषेक बोइनपल्ली को मामले में गिरफ्तार किया था।

एजेंसी ने सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण, उपायुक्त आनंद तिवारी और सहायक आयुक्त पंकज भटनागर को भी मामले में आरोपी बनाया है।

ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गईं, लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया, लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया। लाभार्थियों ने आरोपी अधिकारियों को ‘अवैध’ लाभ दिया और पता चलने से बचने के लिए अपने खाते की पुस्तकों में गलत प्रविष्टियां कीं।

भाषा प्रशांत नरेश

नरेश


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