नई दिल्लीः Form 17-C Data देश में इन दिनों वोटिंग रुम के सीक्रेट फॉर्म 17-सी को लेकर देश भर में बवाल मचा है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से फॉर्म 17सी डेटा का खुलासा करने को कहा था। इस मामले को लेकर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। चुनाव आयोग ने कहा है कि सीक्रेट फॉर्म 17-सी को सार्वजनिक करने से इसमें छेड़छाड़ की संभावना बनी रहती है। तस्वीरों और डेटा के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
Form 17-C Data चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा है कि अगर फॉर्म 17-सी को सार्वजनिक किया गया तो इसमें छेड़छाड़ की संभावना बनी रहती है, जिससे व्यापक रूप से लोगों के बीच अविश्वास पैदा हो सकता है। इलेक्शन कमीशन में अपने जवाब में कहा है कि फॉर्म 17-सी केवल स्ट्रांग रूम में ही मौजूद रहता है और इसकी कॉपी सिर्फ उन्हीं पोलिंग एजेंट्स को मुहैया कराया जाता है, जिनके हस्ताक्षर हो। फॉर्म 17-सी को नियमों के अनुसार पब्लिक डोमेन में जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है।
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के तहत कुल मतदाता और कुल वोटर्स का डेटा दो फॉर्म में भरा जाता है, पहला फॉर्म 17ए और दूसरा फॉर्म 17सी। किसी भी मतदाता को मतदान की परमिशन देने से पहले पोलिंग ऑफिसर फॉर्म 17A में वोटर का इलेक्टोरल रोल नंबर दर्ज करता है। इसके बाद फॉर्म 17C उस समय भरा जाता है जब पोलिंग बंद हो जाती है। कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के नियम 49S के मुताबिक, मतदान समाप्ति पर प्रीसाइडिंग ऑफिसर फॉर्म 17सी में दर्ज वोटों का लेखा-जोखा तैयार करेगा। ये काम हो जाने के बाद इन फॉर्म को एक अलग लिफाफे में रखा जाता है। जिसपर लिखा होता है “रिकॉर्ड किए गए वोटों का लेखा”।
#BREAKING Election Commission of India tells #SupremeCourt that uploading of Form 17C (record of votes polled) on website can lead to mischief, that there are possibilities of images being morphed, which can create “widespread discomfort and mistrust”.#LokSabhaElections pic.twitter.com/sVOTeN3rlR
— Live Law (@LiveLawIndia) May 22, 2024