यूरोपीय संघ और भारत ने समुद्री प्रदूषण से निपटने के लिए मिलाया हाथ
यूरोपीय संघ और भारत ने समुद्री प्रदूषण से निपटने के लिए मिलाया हाथ
नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) यूरोपीय संघ और भारत ने समुद्री प्रदूषण से निपटने के लिए अभिनव अनुसंधान समाधान खोजने और अपशिष्ट से नवीकरणीय हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के विकास पर काम करने के लिए हाथ मिलाया है।
भारत में यूरोपीय संघ (ईयू) के प्रतिनिधिमंडल के दूतावास ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि यूरोपीय संघ और भारत ने यूरोपीय संघ-भारत व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) के तहत ‘दो नूतन महत्वपूर्ण अनुसंधान और नवाचार पहल’ शुरू की हैं, जिसमें ‘कुल 410 लाख यूरो (394 करोड़ रुपये) का निवेश’ किया गया है।
इसने कहा कि ये पहल ज्वलंत पर्यावरणीय चुनौतियों के लिए सहयोगात्मक समाधान को बढ़ावा देंगी और अत्याधुनिक तकनीकी प्रगति को गति देंगी।
बयान में कहा गया है कि यूरोपीय संघ के ‘होराइजन यूरोप कार्यक्रम’ के तहत समन्वित और भारतीय मंत्रालयों (एमओईएस और एमएनआरई) द्वारा सह-वित्तपोषित, दो शोध परियोजनाएं यूरोपीय संघ और भारत के शोधकर्ताओं, स्टार्ट-अप और उद्योगों को वैश्विक प्रभाव के साथ टिकाऊ, व्यापक समाधान विकसित करने के लिए एक साथ लाएंगे।’’
एमओईएस और एमएनआरई क्रमशः केंद्र सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय को संदर्भित करते हैं।
यूरोपीय संघ-भारत व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) एक उच्च स्तरीय रणनीतिक समन्वय मंच है, जिसका उद्देश्य व्यापार, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करना है।
पहली शोध परियोजना समुद्री प्रदूषण, विशेष रूप से समुद्री प्लास्टिक कचरे से निपटने पर केंद्रित है।
बयान में कहा गया है, ‘‘यूरोपीय संघ (120 लाख यूरो/लगभग 110 करोड़ रुपये) और भारतीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (90 करोड़ रुपये/लगभग 93 लाख यूरो) द्वारा सह-वित्तपोषित, यह आह्वान माइक्रोप्लास्टिक, भारी धातुओं और लगातार कार्बनिक प्रदूषकों सहित विभिन्न प्रदूषकों के संचयी प्रभावों की निगरानी, आकलन और शमन के लिए अभिनव समाधान चाहता है।’’
दूसरी शोध परियोजना अपशिष्ट से नवीकरणीय हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के विकास पर केंद्रित है।
स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को आगे बढ़ाने, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और दीर्घकालिक जलवायु उद्देश्यों को पूरा करने में अपनी रणनीतिक भूमिका को देखते हुए हाइड्रोजन यूरोपीय संघ और भारत के बीच सहयोग के एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है।
बयान में कहा गया है कि दोनों शोध परियोजनाएं यूरोपीय और भारतीय संगठनों के लिए खुली हैं, जिनमें कंपनियां, स्टार्ट-अप, शोध संस्थान, विश्वविद्यालय, गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) और व्यक्तिगत शोधकर्ता शामिल हैं। हाइड्रोजन से संबंधित शोध परियोजना के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि दो सितंबर और समुद्री प्रदूषण कॉल के लिए 17 सितंबर है।
भाषा संतोष दिलीप
दिलीप

Facebook



