नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर के बीच दिल्ली में लॉकडाउन की घोषणा होते ही प्रवासी मजदूरों का पलायन फिर शुरू हो गया है। आनंद विहार बस टर्मिनल और कौशाम्बी बस स्टैंड पर हजारों की संख्या में प्रवासी घर लौटने के लिए पहुंच गए। पिछले साल की तरह सैकड़ों किलोमीटर पैदल न चलना पड़े, इस वजह से पहले ही वे अपने गांव पहुंच जाना चाहते हैं।
दिल्ली सरकार के लॉकडाउन की घोषणा करते ही आउटर दिल्ली के नरेला, बवाना, किराड़ी, सुल्तानपुरी, शाहबाद डेयरी, मुंडका, नांगलोई सहित कई इलाकों से श्रमिकों का पलायन देखा जा रहा है। दिल्ली छोड़कर जा रहे ज्यादातर मजदूर अपने घर जाने के लिए प्राइवेट बसों का सहारा ले रहे हैं। जानकारी के मुताबिक नरेला, बवाना, सुल्तानपुरी, नांगलोई, मुंडका सहित कई इलाकों से पिछले कुछ दिनों से रोजाना दर्जनों के हिसाब से प्राइवेट बसें भरकर जा रही हैं।
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कोरोना वायरस महामारी का बढ़ता प्रकोप उन्हें डरा रहा है कि कहीं इस बार भी लॉकडाउन सिर्फ हफ्ते भर का न होकर, महीनों चले। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों से आने वाले लोग अब दिल्ली में नहीं रुकना चाहते क्योंकि उन्हें बहुत सारे डर सता रहे हैं। कारण यह है कि दिल्ली में काम कर रहे मजदूरों को पहले से ही लॉकडाउन का डर सता रहा था। सोमवार को औपचारिक रूप से इसकी घोषणा होते ही यह सिलसिला और तेज हो गया। जाहिर है कि अपने-अपने गांव-घरों को लौटने को आतुर मजदूरों की इस भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग और कोविड नियमों का पालन होना कल्पना से परे है।
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पिछले साल कोविड-19 महामारी के चलते कई चरणों में लॉकडाउन करना पड़ा था। दिल्ली में फिलहाल 6 दिन के लिए ही लॉकडाउन किया गया है लेकिन प्रवासियों को डर है कि इसकी मियाद बढ़ सकती है। कोरोना वायरस का जैसा प्रकोप है, उसे देखते हुए वे यह मान रहे हैं कि लॉकडाउन लंबा चल सकता है। इसलिए दिल्ली में रहकर परेशानी उठाने के बजाय वे अपने गांव निकल जाना चाहते हैं।
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अपने घर लौट रहे लोगों को डर है कि लॉकडाउन के चलते दिल्ली-एनसीआर में उन्हें खाने-पीने की समस्या हो सकती है। बवाना के रहने वाले मोहित यादव ने बताया कि उन्होंने रेल टिकट बनवाने की बहुत कोशिश की, लेकिन इसमें कामयाब नहीं हो सके। अचानक दिल्ली लॉक हो जाने से खाने-पीने की समस्या उत्पन्न हो जाएगी। फैक्ट्रियां बंद होने के बाद कमरे का किराया देना भी मुश्किल हो है, ऐसे में घर निकल जाना ही अच्छा है।