राजभवन के कार्यक्रमों और प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया अनुचित: तेलंगाना की राज्यपाल |

राजभवन के कार्यक्रमों और प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया अनुचित: तेलंगाना की राज्यपाल

राजभवन के कार्यक्रमों और प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया अनुचित: तेलंगाना की राज्यपाल

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:06 PM IST, Published Date : April 7, 2022/9:08 pm IST

हैदराबाद, सात अप्रैल (भाषा) तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन और मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव नीत राज्य सरकार के बीच मतभेद चरम पर पहुंचते प्रतीत हो रहे हैं। सुंदरराजन ने बृहस्पतिवार को एक मंत्री के इस बयान पर आपत्ति जतायी कि वह राज्य के एक प्रसिद्ध मंदिर में भाजपा की नेता के तौर पर गई थीं। साथ ही उन्होंने राजभवन द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को सरकार की तरफ से पर्याप्त तवज्जो नहीं मिलने को लेकर भी चिंता जतायी।

सुंदरराजन ने राज्य के जिलों के दौरे के समय प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर कथित तौर पर अधिकारियों के नहीं आने पर बुधवार को चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि प्रोटोकॉल के उल्लंघन का मामला किसी व्यक्ति विशेष से नहीं जुड़ा हुआ है बल्कि राज्यपाल के पद का सम्मान किया जाना चाहिए।

सुंदरराजन से राज्य के ऊर्जा मंत्री जी. जगदीश रेड्डी के इस बयान के बारे में पूछा गया कि उन्होंने भाजपा नेता की तरह व्यवहार किया तो उन्होंने कहा, ”जब मैं वहां (यदाद्री में भगवान नरसिंह मंदिर) गई थी तो क्या मैंने भाजपा का झंडा थाम रखा था ? क्या भाजपा की बटालियन मेरे साथ थी? मैं एक साधारण श्रद्धालु के रूप में अपने पति के साथ वहां गई थी। मैने इसकी परवाह नहीं की कि ईओ (कार्यकारी अधिकारी) अथवा कलेक्टर आया या नहीं। मैं लक्ष्मी नरसिंह की पूजा करने गई थी। बस इतना ही। अगले दिन मीडिया ने खबर दी कि कोई नहीं आया। तो, बिना किसी सबूत के वे ऐसा कैसे कह सकते हैं?”

जगदीश रेड्डी के बयान, कि वह राज्यपाल का सम्मान करते हैं, के बारे में सुंदरराजन ने पूछा कि जब वह मुलुगु जिले में ‘सम्मक्का-सरक्का’ आदिवासी उत्सव में गईं तो संबंधित अधिकारी क्यों नहीं आए और हाल ही में राजभवन में उगादी से पहले होने वाले समारोह में भाग लेने के लिए निमंत्रण भेजे जाने पर सरकार की प्रतिक्रिया क्या थी ?

उन्होंने कहा, ”क्या वह मुझे इस तरह सम्मान दे रहे हैं? आपको उनसे पूछना चाहिए। मुझे सम्मान की उम्मीद नहीं है। मैं फिर से कह रही हूं, यह तमिलिसाई की बात नहीं है। यह राज्यपाल के कार्यालय की बात है। राज्यपाल के पद पर जो भी आसीन हो, उसका सम्मान होना चाहिये।”

भाषा जोहेब मनीषा

मनीषा

 

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