‘भारत जोड़ो’ यात्रा के झंडे और बोर्ड पर भड़का हाई कोर्ट, कहा- ‘ऐसी चीजों को डिस्पोज करने और…’

'भारत जोड़ो' यात्रा के झंडे और बोर्ड पर भड़का हाई कोर्ट, कहा- 'ऐसी चीजों को डिस्पोज करने और...' : High Court Shouted on flag and board of 'Bharat Jodo' Yatra

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  • Publish Date - September 23, 2022 / 11:02 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:11 PM IST

नई दिल्ली। Bharat Jodo Yatra : कांग्रेस इन दिनों ‘भारत जोड़ो’ यात्रा में व्यस्त है। कांग्रेस की इस यात्रा को के लिए केरल में सड़क किनारे बोर्ड और झंडे लगाए गए। इन बोर्ड और झंडो ओर हाई कोर्ट ने आपत्ति जताई है। दरअसल, गुरुवार को केरल हाई कोर्ट ने ‘भारत जोड़ो’ आंदोलन को लेकर सड़क किनारे लगाए गए बोर्ड्स और झंडो को लेकर आपत्ति जताते हुए सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही बताया गया कि अदालत में सड़कों पर अवैध बैनर और बोर्ड्स से जुड़े मामले पर सुनवाई हो रही थी। इस दौरान एमिकस क्यूरी की तरफ से यात्रा से जुड़ी बात कोर्ट के सामने रखी गई।

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इसके बाद इस मामले में जस्टिस देवन रामचंद्रन की एकल बेंच सुनवाई कर रही थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि, ‘त्रिवेंद्रम से त्रिसूर और इससे आगे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक खास राजनीतिक दल की तरफ से चीजे अवैध रूप से स्थापित की गई हैं। पुलिस और अन्य अधिकारियों को इसके बारे में पता है, लेकिन उन्होंने आंख बंद रखने का फैसला लिया है।’ इसके अलावा कोर्ट को जानकारी दी गई, ‘एक दल विशेष ने केरल में रैली के दौरान अवैध रूप से बड़ी संख्या में बोर्ड, बैनर, झंडे और अन्य चीजें लगाई हैं।’

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ये चीजें वाहन चालकों के लिए खतरा हैं

इन दलीलों पर कोर्ट ने कहा, ‘अवैध रूप से लगाई गईं ये चीजें वाहन चालकों के लिए खतरा हैं, क्योंकि हाईवे पर जाने के दौरान उनका ध्यान भटक जाएगा। साथ ही इनमें से कुछ चीजों के ढीले होकर निकलने और बड़े स्तर पर तबाही करने का खतरा है।’ इसके बाद कोर्ट ने विशेष तौर पर दो पहिया वाहनों के लिए होने का वाले खतरे का जिक्र किया, और अवैध रूप से लगाए गए झंडो और बोर्ड्स पर आपत्ति जताई।

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सरकारी अधिकारी इन मुद्दों को लेकर जागरूक क्यों नहीं?

इसके बाद कोर्ट ने मौसम को लेकर कहा कि, ‘ऐसी चीजों को डिस्पोज करने और निकलने वाले कचरे को संभालने में स्थानीय सरकारी संस्थाओं या अन्य संबंधित प्राधिकारी की समर्थता भी एक समस्या है। सरकारी अधिकारी इन मुद्दों को लेकर जागरूक क्यों नहीं हैं। खासतौर से तब जब हमारा राज्य जलवायु या मौसम को हल्के में नहीं ले सकता।’

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