उच्च न्यायालय ने मृतक शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही के लिए बेसिक शिक्षा निदेशक को तलब किया
उच्च न्यायालय ने मृतक शिक्षक के खिलाफ कार्यवाही के लिए बेसिक शिक्षा निदेशक को तलब किया
प्रयागराज, सात दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहायक अध्यापक की मृत्यु के बाद उनकी सेवा समाप्ति की कार्यवाही शुरू करने को लेकर बेसिक शिक्षा निदेशक को फटकार लगाते हुए उनसे मामले में जवाब तलब किया है।
अदालत ने इस मामले में मृतक के परिवार को मिलने वाली पेंशन रोकने से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने कहा, “इस पूरे प्रकरण में कहीं भी यह रिकॉर्ड में नहीं है कि दिवंगत मुकुल सक्सेना की नियुक्ति को शून्य मानते हुए किसी भी अधिकारी द्वारा कोई आदेश पारित किया गया। यह स्थापित कानून है कि मृत व्यक्ति के खिलाफ जांच शुरू नहीं की जा सकती।”
अदालत ने कहा, “जहां तक इस मामले का संबंध है, रिकॉर्ड पर गौर करने से यह स्पष्ट है कि मुकुल सक्सेना की मृत्यु कोरोना वायरस की वजह से 31 मई, 2021 को हुई और निदेशक (बेसिक शिक्षा) द्वारा मुकुल सक्सेना की सेवा समाप्त करने की कार्यवाही शुरू करने के लिए पत्र 18 जुलाई, 2022 को लिखा गया।”
अदालत ने बृहस्पतिवार को पारित आदेश में कहा, “इस मामले में निदेशक (बेसिक शिक्षा) एक सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें अन्यथा अगली तिथि 16 दिसंबर, 2025 को वह अदालत के समक्ष पेश हों।”
इस मामले के तथ्यों के मुताबिक, याचिकाकर्ता प्रीति सक्सेना के पति मुकुल सक्सेना को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के तहत 1996 में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त किया गया और उन्होंने 25 अक्टूबर, 1996 से सेवा देनी शुरू की। नौकरी में रहते हुए कोरोना की वजह से 31 मई, 2021 को उनकी मृत्यु हो गई।
मुकुल सक्सेना की पत्नी प्रीति सक्सेना को पारिवारिक पेंशन मिलनी शुरू हो गई और उन्हें नवंबर, 2022 तक यह पेंशन मिलती रही।
इस बीच, जिला फर्रुखाबाद के बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 17 सितंबर, 2022 को वित्त एवं लेखा अधिकारी को एक पत्र लिखकर अवगत कराया कि निदेशक (बेसिक शिक्षा) द्वारा 18 जुलाई, 2022 को एक पत्र जारी कर मुकुल सक्सेना की सेवा बर्खास्तगी का निर्देश दिया गया है।
पत्र में याचिकाकर्ता को मिल रही पेंशन रोकने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने को कहा गया है।
उक्त पत्र के आलोक में, कानपुर मंडल के अपर निदेशक (कोषागार एवं पेंशन) द्वारा 19 दिसंबर, 2022 को आदेश पारित कर याचिकाकर्ता की पारिवारिक पेंशन रोक दी गई। इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय का रुख किया।
भाषा सं राजेंद्र नोमान
नोमान

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