प्रशांत भूषण को गिरफ्तारी से बचाने हाई प्रोफाइल लॉबी सक्रिय, 13 रिटायर्ड जस्टिस सहित 3 हजार बड़ी शख्सियतों ने शुरु किया कैंपेन

प्रशांत भूषण को गिरफ्तारी से बचाने हाई प्रोफाइल लॉबी सक्रिय, 13 रिटायर्ड जस्टिस सहित 3 हजार बड़ी शख्सियतों ने शुरु किया कैंपेन

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  • Publish Date - August 18, 2020 / 09:02 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:42 PM IST

नई दिल्ली । अदालत की अवमानना मामले में दोषी ठहराए गए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के समर्थन में बड़ी लॉबी खड़ी हो गई है। प्रशांत भूषण के समर्थन में उच्चतम न्यायलय और उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट, बुद्धिजीवी और कई वरिष्ठ वकील आ गए हैं। प्रशांत भूषण के समर्थन और उच्चतम न्यायलय के आदेश के खिलाफ 3000 से अधिक लोगों ने एक पत्र रुप में लिखित बयान जारी किया है, उच्चतम न्यायलय और उच्च न्यायालय के 13 रिटायर्ड जस्टिस ने इस बयान का समर्थन करते हुए अपने हस्ताक्षर किए हैं।

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लिखित बयान में प्रशांत भूषण के खिलाफ 14 अगस्त को आए उच्चतम न्यायालय के फैसले को निरस्त करने की अपील की गई है। बयान जारी करने वाले लोगों ने लिखा है कि एक स्वतंत्र न्यायपालिका में जज और वकील, दोनों शामिल हैं जो संवैधानिक लोकतंत्र में कानून के शासन का आधार है। पारस्परिक सम्मान और जजों और बेंच के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध की पहचान है। ‘दोनों के बीच में संतुलन का कोई भी झुकाव, एक तरह से या दूसरे, संस्था और राष्ट्र दोनों के लिए हानिकारक है। न्यायपालिका को किसी तरह की पूरी छूट नहीं है कि उसकी आलोचना नहीं हो सकती। इस मामले में अटॉर्नी जनरल की राय भी नहीं ली गई जो कि कानूनसंगत नहीं है।

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इस बयानरुपी पत्र पर रिटायर्ड जस्टिस रूमा पाल, रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी, रिटायर्ड जस्टिस जीएस सिंघवी, रिटायर्ड जस्टिस आफताब आलम, रिटायर्ड जस्टिस मदन बी लोकुर, रिटायर्ड जस्टिस गोपाला गौड़ा समेत 13 रिटायर्ड जस्टिस और 166 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट, शिक्षाविदों और नामचीन लोगों ने अपने नाम के साथ दस्तखत किए हैं।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्वीट के एक मामले में संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी माना है। इसे लेकर कोर्ट ने उन्हें नोटिस भेजा है। वहीं अब सजा पर सुनवाई 20 अगस्त को होगी।

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इस पर प्रशांत भूषण ने कहा था कि ट्वीट भले ही अप्रिय लगे, लेकिन अवमानना नहीं है। उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े और चार पूर्व सीजेआई को लेकर प्रशांत भूषण की ओर से किए गए दो अलग-अलग ट्वीट्स पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की थी। वहीं अब कोर्ट ने दोषी करार दिया है।

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बता दें कि कोर्ट की अवमानना अधिनियम की धारा 12 के तहत तय किए गए सजा के प्रावधान के मुताबिक, दोषी को छह महीने की कैद या दो हजार रुपए तक नकद जुर्माना या फिर दोनों हो सकती है। अब सजा पर बहस 20 अगस्त को होगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट सजा सुनाएगी।