हिजाब प्रतिबंध विवाद: अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर डालने का तरीका अपनाने का आरोप

हिजाब प्रतिबंध विवाद: अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर डालने का तरीका अपनाने का आरोप

हिजाब प्रतिबंध विवाद: अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर डालने का तरीका अपनाने का आरोप
Modified Date: November 29, 2022 / 08:28 pm IST
Published Date: September 19, 2022 9:11 pm IST

नयी दिल्ली, 19 सितंबर (भाषा) हिजाब को मुसलमानों की ‘पहचान’ करार देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कर्नाटक राज्य के अधिकारियों के विभिन्न हथकंडों से ‘अल्पसंख्यक समुदाय को को हाशिए पर रखने का एक तरीका’ दिखता है।

शीर्ष अदालत कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया गया था।

दवे ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ से कहा कि यह वर्दी का मामला नहीं है और वह यह बताना चाहेंगे कि राज्य के अधिकारियों के विभिन्न हथकंडों से ‘अल्पसंख्यक समुदाय को हाशिए पर रखने का एक तरीका’ दिखता है।

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यह तर्क देते हुए कि देश उदार परंपराओं और धार्मिक विश्वासों पर बना है, कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए दवे ने कहा, ‘‘आज जिस तरह का माहौल देखा जा रहा है वह उदार कहलाने से बहुत दूर है।’’

दवे ने कहा, ‘आप (राज्य प्राधिकरण) यूनिफॉर्म बताकर यह प्रस्ताव पारित कर रहे हैं। वास्तव में यह किसी अन्य उद्देश्य के लिए है। पूरा विचार यह है कि मैं अल्पसंख्यक समुदाय को कैसे बताऊं कि आपको अपनी मान्यताओं को मानने की अनुमति नहीं है, आपको अनुमति नहीं है अपने विवेक का पालन करने की। आप वही करेंगे जो मैं आपको बताऊंगा।’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने हिजाब पहनकर किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई है। हमारी पहचान हिजाब है।’’

दलीलें मंगलवार को भी जारी रहेंगी। पीठ ने धार्मिक प्रथाओं के बारे में भी पूछा।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव


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