हिमाचल प्रदेश : मतदान अधिकारी जाते हैं दुर्गम इलाकों में क्योंकि प्रत्येक वोट मायने रखता है

हिमाचल प्रदेश : मतदान अधिकारी जाते हैं दुर्गम इलाकों में क्योंकि प्रत्येक वोट मायने रखता है

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  • Publish Date - May 15, 2024 / 05:24 PM IST,
    Updated On - May 15, 2024 / 05:24 PM IST

( भानु पी लोहुमी )

शिमला, 15 मई (भाषा) प्रत्येक वोट मायने रखता है, और मतदान अधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते। हिमाचल प्रदेश के बड़ा भंगाल जैसे दूर-दराज के और कम आबादी वाले क्षेत्र इसके उदाहरण हैं जहां केवल 63 मतदाताओं के लिए मतदान अधिकारी दुर्गम भूभाग से हो कर जाते हैं।

यात्रा में एक खतरनाक पहाड़ी रास्ते पर दो दिनों की चढ़ाई, भूस्खलन की आशंका वाले ढलाऊ हिस्से पर संभल कर चलना और सड़क के किनारे पूरे वेग से बहती रावी नदी में गिरने से बचना शामिल है।

कांगड़ा जिले में स्थित, बड़ा भंगाल में दुर्गम भौगोलिक संरचना की वजह से रोजमर्रा की जिंदगी में सुकून की गुंजाइश बहुत कम है, और चुनाव भी इससे अछूता नहीं है।

मौसम की कोई भी गड़बड़ी मतदान को विफल न कर दे, यह ध्यान में रखते हुए निर्वाचन कार्यालय दो टीमों को दो अलग-अलग मार्गों से बड़ा भंगाल भेजता है। एक टीम को हवाई मार्ग से बैजनाथ भेजा जाता है और दूसरी टीम को दो दिन पहाड़ी मार्ग पर चलना होता है।

मतदान अधिकारियों की क्षमता की परीक्षा एक अन्य क्षेत्र फ़तेहपुर के सत कुठेरा में भी होती है, जहां मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए 5.5 किमी दूर तक नाव की सवारी करनी पड़ती है।

2019 के लोकसभा चुनावों में एक टीम का हिस्सा रहे निर्वाचन अधिकारी डॉ. सुरजीत सरोच ने पीटीआई-भाषा को बताया कि कैसे उन्होंने पांच साल पहले बड़ा भंगाल की यात्रा की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘चंबा के नया ग्राम से हमने पैदल यात्रा शुरू की और बड़ा भंगाल के रास्ते में पड़ने वाले एकमात्र गांव धरारी पहुंचे। गांव में हम दो कमरे के एक छोटे से कच्चे मकान में रुके।’’

सरोच ने याद करते हुए कहा कि टीम में कुली और खच्चर शामिल थे। यह टीम दो दिनों तक खतरनाक संकीर्ण पगडंडी पर चली, जिसके एक ओर, नीचे रावी नदी बहती है और पहाड़ी से पत्थर गिरते हैं।

2022 में बड़ा भंगाल में विधानसभा चुनावों की निगरानी करने वाले निर्वाचन अधिकारी राकेश चंदेल ने कहा कि जब वह क्षेत्र में पहुंचे तो उन्हें लगा कि उन्होंने दुनिया को पीछे छोड़ दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘बिजली का एकमात्र साधन सौर पैनल और मतदान अधिकारी को दिए गए सैटेलाइट फोन के अलावा कोई अन्य संचार उपकरण नहीं होने से हमें लगा कि हम बाकी दुनिया से कटे हुए हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम भाग्यशाली थे कि हमें बड़ा भंगाल में हवाई मार्ग से उतारा गया, लेकिन बादलों और तेज हवाओं के बीच धौलाधार पर्वत श्रृंखला के पार उड़ान भरना घबराहट पैदा करने वाला अनुभव था।’’

निर्वाचन अधिकारी राजेश कुमार ने याद किया कि वहां कोई रोशनी नहीं थी और उन्हें नाव पर इनवर्टर/जनरेटर सत कुठेरा ले जाना पड़ा, जहां लगभग 100 मतदाता हैं।

2022 के विधानसभा चुनावों में क्षेत्र में मतदान कराने वाले मतदान दल के सदस्यों में से एक कुमार ने कहा कि वहां कोई स्कूल नहीं था, वह लोग एक मंदिर में रुके और तीसरे दिन वापस आए।

बड़ा भंगाल के 63 मतदाताओं को क्षेत्र में या बीर के एक मतदान केंद्र पर मतदान करने का विकल्प दिया गया है।

पिछले साल मानसून में भूस्खलन होने और पुलों के बह जाने के कारण इस साल बड़ा भंगाल तक पहुंचना आसान नहीं होगा।

राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग के अनुसार, लाहौल, स्पीति और किन्नौर के कुछ हिस्से, चंबा में पांगी और भरमौर तथा शिमला जिले में डोडरा क्वार का संपर्क मई में होने वाली बर्फबारी के कारण कटा रहता है।

गर्ग के अनुसार, राज्य में लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में एक जून को मतदान कराए जाने का एक कारण यह भी है।

2019 में लोकसभा चुनाव के लिए आखिरी चरण में 19 मई को मतदान हुआ था।

भाषा

मनीषा

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