मैंने संप्रग शासन के दौरान आतंकी मामलों में ‘फर्जी जांच’ की शिकायत की थी: सत्यपाल सिंह
मैंने संप्रग शासन के दौरान आतंकी मामलों में ‘फर्जी जांच’ की शिकायत की थी: सत्यपाल सिंह
नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सत्यपाल सिंह ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने संप्रग सरकार के दौरान डीजीपी सम्मेलनों में कुछ आतंकी मामलों में ‘‘झूठी पड़ताल’’ की बात कही थी। उन्होंने दावा किया कि उस समय मालेगांव विस्फोट मामले समेत कई मामलों की जांच राजनीति से प्रेरित थी।
मालेगांव विस्फोट में छह लोगों की मौत होने के लगभग 17 साल बाद एक विशेष अदालत ने भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बृहस्पतिवार को बरी करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई ‘‘विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं हैं।’’
महाराष्ट्र कैडर के पूर्व आईपीएस अधिकारी सिंह, जो मालेगांव मामले की जांच से सीधे तौर पर जुड़े नहीं थे, ने कहा कि उन्हें अक्सर अपने साथी अधिकारियों से पता चलता था कि आतंकवाद के मामलों में राजनीतिक लाभ उठाने के लिए सबूत गढ़े जाते हैं। उन्होंने दावा किया कि मालेगांव मामले की जांच ऐसी ही एक जांच थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सम्मेलनों में कहा था कि कुछ आतंकवाद-रोधी पुलिस एजेंसियां असली आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही हैं और मैंने सुझाव दिया था कि खुफिया ब्यूरो को आतंकी हमलों की जांच की निगरानी करनी चाहिए। निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करना न केवल पुलिस की अक्षमता को दर्शाता है, बल्कि उन्हें अपराधी भी बना सकता है।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका की एक प्रमुख एजेंसी संघीय जांच ब्यूरो को 2007 के समझौता एक्सप्रेस विस्फोटों में लश्कर-ए-तैयबा के संबंध का संदेह था, लेकिन भारत में जांच एजेंसियों ने राजनीति से प्रेरित होने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच नहीं की।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार हिंदू धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन को बदनाम करना चाहती थी और उसने ‘‘भगवा आतंकवाद’’ का विमर्श गढ़ा।
उन्होंने दावा किया कि महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस), जिसने 2011 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा जांच का जिम्मा संभालने से पहले मालेगांव विस्फोट मामले की जांच की थी, उस समय सबूत गढ़ने से नहीं चूका था।
सिंह ने 2006 में एसीपी विनोद भट की कथित आत्महत्या को ऐसे ही विभागीय दबाव से जोड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘उस समय मुझे इस मुद्दे पर मीडिया से बात न करने को कहा गया था। भट एक ईमानदार और मेहनती पुलिसकर्मी थे, जो एटीएस में भर्ती होने से पहले मेरे स्टॉफ अधिकारी थे।’’
सिंह ने अपनी सेवानिवृत्ति से एक साल पहले 2014 में आईपीएस की नौकरी छोड़ दी और भाजपा उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा था। उन्होंने 2014 और 2019 में बागपत से जीत हासिल की थी।
भाषा
देवेंद्र रंजन
रंजन

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