अपने शो में शालीनता बनाए रखूंगा : रणवीर इलाहाबादिया ने न्यायालय को भरोसा दिलाया

अपने शो में शालीनता बनाए रखूंगा : रणवीर इलाहाबादिया ने न्यायालय को भरोसा दिलाया

अपने शो में शालीनता बनाए रखूंगा : रणवीर इलाहाबादिया ने न्यायालय को भरोसा दिलाया
Modified Date: April 1, 2025 / 04:05 pm IST
Published Date: April 1, 2025 4:05 pm IST

नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया ने उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को लिखित आश्वासन दिया कि वह अपने शो में शालीनता बनाए रखेंगे।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल ने लिखित आश्वासन दाखिल किया है और वह मामले की जांच में शामिल हो गए हैं।

चंद्रचूड़ ने शीर्ष अदालत से इलाहाबादिया पर लगाई गई पासपोर्ट जमा करने की शर्त में संशोधन करने का अनुरोध किया। उन्होंने दलील दी कि यह शर्त उनकी आजीविका को प्रभावित करती है।

 ⁠

चंद्रचूड़ ने कहा कि इलाहाबादिया को विभिन्न लोगों के साक्षात्कार के लिए विदेश यात्रा करनी पड़ती है, जिसके लिए कई दौर की बैठकें करने की आवश्यकता होती है।

पीठ ने कहा कि अगर इलाहाबादिया विदेश चला गया, तो इससे जांच प्रभावित होगी।

पीठ ने महाराष्ट्र और असम की सरकारों का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से उस समयसीमा के बारे में पूछा, जिसमें जांच पूरी हो जाएगी।

मेहता ने कहा कि हालांकि, उन्होंने इस बारे में किसी निर्देश का अनुरोध नहीं किया है, लेकिन जांच दो हफ्ते में पूरी होने की संभावना है।

इसके बाद पीठ ने कहा कि वह पासपोर्ट वापस करने के इलाहाबादिया के अनुरोध पर दो हफ्ते बाद विचार करेगी।

शीर्ष अदालत ने इलाहाबादिया को तीन मार्च को अपना पॉडकास्ट ‘द रणवीर शो’ फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी थी। हालांकि, उसने स्पष्ट किया था कि शो में “नैतिकता और शालीनता” बनाए रखी जानी चाहिए और इसे सभी उम्र के दर्शकों के लिए उपयुक्त बनाया जाना चाहिए।

‘बीयरबाइसेप्स’ के नाम से मशहूर इलाहाबादिया यूट्यूबर समय रैना के यूट्यूब शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में अभिभावकों और यौन संबंधों पर विवादित टिप्पणी कर मुश्किलों में फंस गए थे। महाराष्ट्र और असम के विभिन्न थानों में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थीं।

उच्चतम न्यायालय ने 18 फरवरी को इलाहाबादिया को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हुए उनकी टिप्पणियों को “अश्लील” बताया था और कहा था कि उनकी “विकृत मानसिकता” से समाज को शर्मिंदा होना पड़ा।

भाषा पारुल नरेश

नरेश


लेखक के बारे में