वायुसेना की पूर्वी कमान किसी भी हवाई ठिकाने का इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित कर रही : एयर मार्शल

वायुसेना की पूर्वी कमान किसी भी हवाई ठिकाने का इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित कर रही : एयर मार्शल

वायुसेना की पूर्वी कमान किसी भी हवाई ठिकाने का इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित कर रही : एयर मार्शल
Modified Date: October 15, 2023 / 10:57 pm IST
Published Date: October 15, 2023 10:57 pm IST

गुवाहाटी, 15 अक्टूबर (भाषा) एयर मार्शल एस. पी. धारकर ने रविवार को कहा कि भारतीय वायु सेना विमानों को उतारने की सुविधाओं की कमी को कम करने के लिए देश के पूर्वी हिस्से में असैन्य सहित किसी भी उपलब्ध हवाई ठिकाने का उपयोग करने की अपनी क्षमता विकसित कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वी वायु कमान देश के हवाई क्षेत्र और सीमाओं की अधिक कुशल तरीके से रक्षा करने में सक्षम होने के लिए सभी नवीनतम तकनीकों को अपना रही है।

धारकर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे पास कई हवाई ठिकाने हैं। हमारे पास क्षमता है और हम इस क्षेत्र में मौजूद हर हवाई ठिकाने का उपयोग करने में सक्षम होने की क्षमता का निर्माण कर रहे हैं।’’

 ⁠

उन्होंने कहा कि वायुसेना असैन्य हवाई ठिकाने या सैन्य हवाई ठिकाने या यहां तक कि ‘एडवांस लैंडिंग ग्राउंड’ का जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित कर रही है।

वायु सेना के पूर्वी कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल धारकर ने कहा, ‘‘हमारे पास वह क्षमता है और हम इस योजना पर कायम हैं। इस संबंध में निरंतर सुधार हो रहा है। कम हवाई क्षेत्रों की उपलब्धता या सीमा केवल समय की बात है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस रणनीति के कारण वायुसेना के पास भी इस क्षेत्र में पर्याप्त संख्या में हवाई ठिकाने होंगे। ठीक उसी तरह जैसे ‘‘किसी भी अन्य पड़ोसी देश के पास’’ है।’’

वायुसेना की पूर्वी कमान की प्रौद्योगिकी प्रगति के बारे में पूछे जाने पर एयर मार्शल धारकर ने कहा, ‘‘जब भी नयी प्रौद्योगिकियों का आविष्कार होता है, हम उन्हें यहां लागू कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली है, जो देश के इस हिस्से सहित पूरे भारत में मौजूद है। हमारे यहां दो ‘नोड’ भी हैं जो ‘एयर कमान प्रणाली’ को संचालित करते हैं।’’

इस क्षेत्र में राफेल लड़ाकू विमान का दूसरा बेस बनाने की संभावना पर उन्होंने कहा कि विमानों का बेस होना शांतिकाल में केवल प्रशिक्षण और अभ्यास के उद्देश्यों से उपकरणों को रखने से संबंधित है।

एयर मार्शल धारकर ने कहा कि आवश्यकता होने पर वायु सेना के पास देश में कहीं भी मौजूद परिसंपत्ति को इस क्षेत्र में लाया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास दो राफेल स्क्वॉड्रन हैं। निश्चित रूप से जब भी आवश्यकता होगी, मुझे पूरा यकीन है कि वायु सेना मुख्यालय उस फैसले को स्वीकार करेगा और जरूरत के मुताबिक दूसरे राफेल स्क्वॉड्रन को यहां तैनात करेगा।’’

पहला राफेल स्क्वॉड्रन हरियाणा के अंबाला वायु सेना स्टेशन पर स्थित है और दूसरा पश्चिम बंगाल के हासीमारा हवाई अड्डे पर है। एक स्क्वॉड्रन में लगभग 18 विमान शामिल होते हैं।

इजराइल-हमास के बीच जारी संघर्ष के बारे में धारकर ने कहा, ‘‘(भारत की पूर्वी वायु कमान के साथ) कुछ अंतर और कुछ समानताएं हैं। यह एकमात्र वायु कमान है, जिसके आसपास पांच देश नेपाल, चीन, भूटान, म्यांमा और बांग्लादेश हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यहां की सीमा बहुत लंबी है और समुद्र तल से ऊंचाई 20,000 फुट तक है। इसलिए, इसकी अपनी चुनौतियां हैं।’’

भाषा धीरज सुरभि

सुरभि


लेखक के बारे में