गुजरात दंगा: ट्रेनों में जलती लाशें और भड़के दंगों से लेकर मोदी को क्लीनचिट मिलने तक की कहानी..देखें IBC pedia पर

IBC pedia : आज मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से क्लिन चीट मिलने के बाद दंगे की वो काली रात फिर से ताजा हो गई है।

  •  
  • Publish Date - June 25, 2022 / 02:59 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:27 PM IST

नई दिल्ली। IBC pedia : 27 फरवरी 2002 को दंगाइयों ने आधुनिक भारत के इतिहास में काला अध्याय लिखा गया था। जिसने हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की भावना को आग लगा दी थी। ट्रेनों में जलती लाशों के बाद इसकी आग से पूरा गुजरात सुलग उठा और सांप्रदायिक दंगों से कई घर तबाह हो गए। करीब 1200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। लेकिन दंगे के इंसाफ की आग आज तक नहीं बुझी है। उस वक्त के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर दंगाइयों को रोकने के लिए जरूरी कार्रवाई नहीं करने के आरोप भी लगे। आज मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से क्लिन चीट मिलने के बाद दंगे की वो काली रात फिर से ताजा हो गई है। गोधरा कांड के बाद कैसे इसकी आग पूरे गुजरात में फैल गई.. आज IBC pedia में जानिए गुजरात में भड़के दंगे की कहानी।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp  ग्रुप से जुड़ने के लिए Click करें*<<

यह भी पढ़ें: Eknath Shinde Story: बेटा-बेटी की मौत देख छोड़ चुके थे राजनीति, ऑटो चालक से लेकर उद्धव की कुर्सी हिलाने तक एकनाथ शिंदे की पूरी कहानी…IBC Pedia में

चारों तरफ सुनाई दे रही थीं सिर्फ मौत की चीखें

27 फरवरी 2002 हमारे देश के अतीत से ये काला रिश्ता कभी मिट नहीं सकता। दंगाइयों ने आग से कई घरों और खुशियों को तबाह कर दिया। ट्रेनों में बैठे श्रद्धालुओं की मौत के बाद पूरा राज्य जल उठा। आलम यह रहा है कि चारों तरफ सिर्फ मौत की चीखें सुनाई दे रही थी। हालात इस कदर बिगड़े कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जनता से शांति की अपील करनी पड़ी। दंगें में करीब 1200 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।

गोदरा कांड

27 फरवरी को हमारे स्वतंत्र धर्मनिरपेक्ष देश में सुबह 7:43 पर गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 23 पुरुष और 15 महिलाओं और 20 बच्चों सहित 58 लोग साबरमती एक्सप्रेस के कोच नंबर S6 में जिंदा जला दिए गए थे। उन लोगों को बचाने की कोशिश करने वाला एक व्यक्ति भी 2 दिनों के बाद मौत की नींद सो गया था।

भीड़ ने घटना को दिया अंजाम

अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की तरफ से फरवरी 2002 में पूर्णाहुति महायज्ञ का आयोजन किया गया था। देश के विभिन्न कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु वहां गए थे। 25 फरवरी 2002 को अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में करीब 1700 तीर्थयात्री और कारसेवक सवार हुए थे। ट्रेन 27 फरवरी की सुबह 7 बजकर 43 मिनट पर गोधरा स्टेशन पहुंची। जैसे ही ट्रेन रवाना होने लगी, चेन पुलिंग की वजह से सिग्नल के पास ट्रेन रुक गई। और फिर बड़ी संख्या में भीड़ ने आगजनी की घटना को अंजाम दिया।

यह भी पढ़ें: Open Window Special: Maharashtra Crisis, अब तेरा क्या होगा शिवसेना? क्या शरद पवार की लिखी स्क्रिप्ट है ये या कि फडनवीस हैं सूत्रधार…जानिए Insights

चली लंबी सुनवाई और बहस के बाद 2011 में आया ये फैसला

गोधरा कांड के बाद गुजरात दंगा (Story of Godhra incident and Gujarat riots) हुआ था। जिस पर यह दलील दी जाती है कि गुजरात दंगे, गोधरा कांड में किए गए क्रिया की प्रतिक्रिया थी। लेकिन इंसाफ की कसौटी पर आज भी गोदरा कांड अधूरा है। मामले में कोर्ट में चली लंबी सुनवाई, बहस हुए, जिसके बाद 2011 में निचली अदालत में फैसला भी आया। जिसमें 11 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि 20 लोगों को उम्र कैद की सजा हुई। लेकिन इसके बाद जो दंगा पूरे गुजरात में भड़का और और जान-माल का भारी नुकसान हुआ। इस दंगा के बाद पूरे देश की राजनीति हमेशा के लिए बदल गई। आपको बता दें कि गोधरा की घटना में 1500 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

यह भी पढ़ें:  Open Window Special: अपने मन को जानने के ये चार तरीके, अगर बनना है सफल तो आयु के इन संधिकालों के समय रहें ज्यादा सावधान, Psycho analysis

घटनाक्रम पर एक नजर..

27 फरवरी 2002 : गोधरा रेलवे स्टेशन के पास साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में आग लगाने से 59 से अधिक कारसेवकों की मौत हुई थी।

28 फरवरी 2002 : गुजरात के कई इलाकों में दंगा भड़कने से 1200 से अधिक लोग मारे गए।

03 मार्च 2002 : गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (पोटा) लगाया गया।

25 मार्च 2002 : केंद्र सरकार के दबाव की वजह से सभी आरोपियों पर से पोटा हटाया गया।

18 फरवरी 2003 : गुजरात में भाजपा सरकार के दोबारा चुने जाने पर आरोपियों के खिलाफ फिर से आतंकवाद निरोधक कानून लगा दिया गया।

21 सितंबर : नवगठित संप्रग सरकार ने पोटा कानून को खत्म कर दिया और अरोपियों के खिलाफ पोटा आरोपों की समीक्षा का फैसला किया।

17 जनवरी 2005 : यूसी बनर्जी समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया कि गोधरा कांड महज एक ‘दुर्घटना’थी।

13 अक्टूबर 2006 : गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा कि यूसी बनर्जी समिति का गठन ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है, क्योंकि नानावटी-शाह आयोग पहले ही दंगे से जुड़े सभी मामले की जांच कर रहा है।

26 मार्च 2008 : सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड और फिर हुए दंगों से जुड़े आठ मामलों की जांच के लिए विशेष जांच आयोग बनाया।

18 सितंबर : नानावटी आयोग ने गोधरा कांड की जांच सौंपी। इसमें कहा गया कि यह पूर्व नियोजित षड्‍यंत्र था।

22 फरवरी : विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 31 लोगों को दोषी पाया, जबकि 63 अन्य को बरी किया।

1 मार्च 2011: विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 11 को फांसी, 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई।

और भी है बड़ी खबरें…