दिल्ली के बीचोबीच अवैध निर्माण हो रहा है, संरचनात्मक सुधार की जरूरत : उच्च न्यायालय

दिल्ली के बीचोबीच अवैध निर्माण हो रहा है, संरचनात्मक सुधार की जरूरत : उच्च न्यायालय

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  • Publish Date - February 21, 2024 / 12:33 PM IST,
    Updated On - February 21, 2024 / 12:33 PM IST

नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को टिप्पणी की कि नगर निकाय और जांच के लिए एक विस्तृत प्रणाली होने के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में बीचोबीच इतने बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण हो रहा है जो पहले कभी नहीं सुना गया।

उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि बिल्डर में कानून के प्रति कोई सम्मान ही नहीं है और उसने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) तथा दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) को संरचनात्मक सुधार करने और अतिक्रमण के खतरे के साथ-साथ अवैध और अनधिकृत निर्माण से निपटने के लिए नयी रणनीतियां बनाने का निर्देश दिया।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध और अनधिकृत निर्माण से निपटने के लिए विभागों के कामकाज में संरचनात्मक सुधारों की जरूरत है। स्पष्ट निर्देश जारी करके क्षेत्राधिकार के मुद्दे को सुलझाने की जरूरत है।’’

उच्च न्यायालय ने कहा कि एमसीडी आज के समय में भी किसी इमारत को सील करने के लिए टेप और तार का इस्तेमाल कर रही है और सामान्य तौर पर कार्रवाई के नाम पर आंशिक रूप से छतों में मामूली तोड़फोड़ कर रही है। यही वजह है कि सीलिंग और तोड़फोड़ की कार्रवाई का कोई ठोस प्रभाव नहीं हो रहा है।

उसने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकारी यथास्थिति से संतुष्ट हैं और बड़े पैमाने पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण का आसानी से पता लगाने वाली प्रौद्योगिकी जैसे कि ड्रोन, उपग्रह तस्वीर और डिजिटल मानचित्रों का उपयोग करके प्रणाली में सुधार नहीं करना चाहते।

अदालत ने केंद्र द्वारा संरक्षित निजामुद्दीन की बावली और बाराखंभा मकबरे के पास एक गेस्ट हाउस के अनधिकृत निर्माण के संबंध में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एक मामले को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करते हुए यह आदेश दिया।

पीठ गैर लाभकारी संगठन ‘जामिया अरबिया निजामिया वेलफेयर एजुकेशन सोसायटी’ की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में दावा किया गया कि ‘‘ पुलिस बूथ के समीप हजरत निजामुद्दीन दरगाह, बावली गेट के पास बने खसरा नंबर 556 जियारत गेस्ट हाउस में ‘‘अवैध और अनधिकृत निर्माण’’ किया जा रहा है।

अदालत ने यह भी कहा कि न तो एमसीडी और न ही डीडीए ने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की। यह अवैध निर्माण पहले से सील गेस्ट हाउस की ऊपरी मंजिल पर किया गया जो स्मारकों के पास डीडीए की जमीन पर अवैध रूप से बनाया गया है।

एमसीडी के अधिवक्ता ने कहा कि यहां तक कि भूतल, पहली और दूसरी मंजिल भी अवैध हैं क्योंकि यह जमीन डीडीए की है और उस पर अतिक्रमण किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में डीडीए प्रमुख एजेंसी है जिसे अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए कदम उठाना चाहिए था।

एमसीडी और डीडीए के अधिवक्ताओं ने अदालत को अवगत कराया कि इस इमारत को अब पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है।

भाषा खारी गोला

गोला